उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के विवादित ढांचे को ढहाये जाने के मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की याचिका पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया. यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई पूरी किये जाने तक संबंधित जज का स्थानांतरण नहीं किये जाने का शीर्ष अदालत का आदेश उनकी पदोन्नति में आड़े आ रहा है. याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अपने आदेश में बदलाव करने और इलाहाबाद उच्च न्यायालय को उन्हें जिला जज पद पर पदोन्नत करने के आदेश की मांग की है.
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पूछा कि वह किस तरीके से सुनवाई दो साल के तय वक्त में पूरी करेंगे. शीर्ष अदालत ने यादव की अर्जी पर योगी सरकार के अलावा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को भी नोटिस जारी किया है. सर्वोच्च न्यायालय ने सीलबंद लिफाफे में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है
गौरतलब है कि गत 1 जून को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जजों के स्थानांतरण और पदोन्नति की अधिसूचना निकाली थी. इसमें यादव का पदोन्नति के साथ-साथ स्थानांतरण किया गया था. उन्हें बदायूं का जिला एवं सत्र न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, लेकिन उसी दिन एक और अधिसूचना निकाली गयी और उसमें उनका स्थानांतरण और प्रमोशन अगले आदेश तक निरस्त कर दी गई. यादव का कहना है कि वह 8 जून, 1990 को मुंसिफ मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए थे. 28 साल का उनका बेदाग कैरियर है.
उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा से काम किया है. अब वह अपनी सेवा पूरी कर सेवानिवृत्ति के मुकाम पर पहुंचने वाले हैं. उनके साथ नियुक्त हुए सहयोगी और कनिष्ठ जिला न्यायाधीश तक पहुंच चुके हैं, लेकिन उनकी पदोन्नति को नकार दिया गया है. वह अब भी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अयोध्या प्रकरण) पद पर काम कर रहे हैं.
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