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Editorial :- पेट्रोल-ईंधन महंगा VS मोदी सरकार के ऐतिहासिक कदम..

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इकॉनामिक्स में हमने पढ़ा है किसी देश ेकी जनता खाली हो तो उसे कुछ कुछ काम देना चाहिये। यहॉ तक की चाहे गड्ढे खुदवाएं भरवाएं।
यूपीए सरकार ने भ्रष्टाचार के गड्ढ़े खुद सरकार ने खोदे और सरकार की आर्थिक हालत खस्ता भी उसी ने की। उन गड्ढों को भरने में एनडीए सरकार को एड़ी चोटी का पसीना एक करना पड़ रहा है।
रघुराम राजन ने जिस बैंकिंग घोटाले की चर्चा की है और स्मृति इरानी ने भी आज जिस प्रकार से गांधी परिवार पर हमला बोला है उससे भी स्पष्ट हो जाता है कि किस प्रकार के गड्ढे यूपीए शासनकाल में खोदे गये थे।
पेट्रोल ईंधन की महंगाई बहुत चर्चा हुई, भारत बंद भी कांग्रेस द्वारा आयोजित हुआ। इस संपादकीय के नीचे दो बातों की चर्चा अलग से की गई है।
पहला केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने बताया  कैसे 50 रुपये में मिलेगा डीजल और 55 रुपये में पेट्रोल।
इसके अलावा क्करूह्र कर रहा है इस योजना पर काम, पेट्रोलडीजल की मुश्किल हो जाएगी ख़त्म।
इस चीज की तो चर्चा है कि मोदी सरकार और राज्य सरकारों ने पेट्रोल से कई लाख करोड़ रूपये कमाएं हैं। परंतु इसके साथ यह नहीं सोचा जा रहा है कि ये पैसे सरकार के मंत्री अपने पॉकेट में नहीं रख रहे हैं। इनका उपयोग जनता की भलाई के लिये किये जाने वाले कार्यों मेें ही होना है।
परंतु प्रश्र तो यह पूछा जाना चाहिये कि कांग्रेस ने यूपीए शासनकाल में जो घोटाले करके अनगिनत लाख करोड़ रूपयों से अपने घर भरे उनका उपयोग क्या जनता की भलाई के लिये हुआ?
इस संपादकीय में अभी मोदी सरकार के दो ऐतिहासिक कार्यों की मैं चर्चा कर रहा हूं।
भारत के लिए ऐतिहासिक घटनाक्रम है कि त्रशशद्दद्यद्ग भारत में भुगतान व्यवसाय पर डेटा स्टोर करने के लिए सहमत है
भारत के लिए एक बड़ी जीत के लिए मार्ग खोलता है, त्रशशद्दद्यद्ग आगे आया है और भारत के विकास के साथ हित में हाथ मिलाया है।प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा  हासिल एक और प्रमुख मील का पत्थर और विश्व स्तर पर भारत के लिए मान्यता प्राप्त करने के लिए एक बड़ी उपलब्धि  हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, त्रशशद्दद्यद्ग सीईओ सुंदर पिचई ने भारत में वित्तीय भुगतान से संबंधित जानकारी संग्रहीत करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्देशों का पालन करने के त्रशशद्दद्यद्ग के इरादे के बारे में सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को आश्वासन दिया है।
आईटी मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “हालांकि, इसने विनियमन का अनुपालन करने के लिए एक और दो महीने के बीच थोड़ा अतिरिक्त समय मांगा है।विस्तृत चर्चा इसी पृष्ट में की गई है।
तेल बांड के कारण 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करने के बाद, अब रिपोर्ट बताती है कि भारत ने पिछले 4 वर्षों में कोयला आयात विधेयक में 1 लाख करोड़ रुपये बचाए।
अब हमें सोचना है कि यूपीए शासनकाल में क्या हुआ और अभी मोदी सरकार क्या कर रही है। दोनों सरकारों की तुलना करते हुए २०१९ लोकसभा चुनाव में जनता को निर्णय करना चाहिये।