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Editorial :- एक देश एक चुनाव का विरोध और अब चंद्रशेखर जैसे ही नायडू भी चाहते हैं तेलंगाना के साथ आंध्रा के चुनाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत की है लेकिन विपक्षी पार्टियां कहती रही हैं कि ये असंवैधानिक और अव्यवहारिक है. तृणमूल कांग्रेस, माकपा, आईयूएमएल ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह मोदी सरकार की चाल है।
४ अगस्त २०१८ के समाचार के अनुसार: एक देश-एक चुनाव के विरोध में उतरी थी कांग्रेस, लॉ कमीशन के सामने दर्ज कराई थी आपत्ति।
लेकिन अब चर्चा है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के बाद आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी इच्छा जाहिर की है कि आंध्रा विधानसभा को एक सप्ताह के अंदर भंग कर तेलंगाना विधानसभा के साथ ही चुनाव हों। यहॉ यह उल्लेखनीय है कि अगले माह राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के भी चुनाव होने वाले हैं।
>> रिपब्लिक टीवी के अनुसार चंद्रबाबू नायडू एक सप्ताह के अंदर आंध्रप्रदेश विधानसभा को भंग कर सकते हैं।
>> सुत्रों ने यह भी कहा है कि नायडू चाहते हैं कि तेलंगाना के साथ आंध्रा के भी चुनाव हों। सूत्रों के मुताबिक, दोनों राज्यों के समय से पूर्व चुनाव कराए जाने को लेकर सियासी हलचल त6 सितंबर को तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने राज्य विधानसभा को भंग कर अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने उन्हें कार्यवाहक सीएम की जिम्मेदारी दी है।
दिलचस्प बात यह है कि अपने बड़े राजनीतिक दांव के बाद केसीआर ने अपनी टीआरएस पार्टी से राज्य के 119 उम्मीदवारों में से 105 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी हैं। उन्होंने अपने उन सीटों पर किसी को भी उम्मीदवार नहीं बनाया है, जहां पर भाजपा विधायकों को सीट मिल सकती है, जिससे राज्य में अटकलें तेज हो गई हैं कि टीआरएस भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती है।
दिलचस्प बात ये भी है कि लोकसभा में राहुल गांधी गले पड़ गये थे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस संबंध में राहुल गांधी पर केसीआर ने टिप्पणी करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष को मस्खरा ड्ढह्वद्घद्घशशठ्ठ कहकर संबोधित किया था।
तेलंगाना के चुनाव की तारीखों पर अटकलों की गति के साथ, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने यह स्पष्ट कर दिया कि तेलंगाना में चुनाव की तारीखों की घोषणा किसी भी पार्टी की सुविधा के अनुसार नहीं की जाएगी।
विशेष रूप से ह्म्द्गश्चह्वड्ढद्यद्बष् टीवी से बात करते हुए रावत ने कहा था, ‘चुनाव आयोग को कल (गुरुवार) शाम को विघटन के बारे में पता चल गया था जब हमारे सीईओ ने अधिसूचना के बारे में सूचित किया था। हम ज्योतिषीय भविष्यवाणी या किसी भी राजनीतिक दल द्वारा किसी भी दावे से नहीं जाएंगे। अर्थात राज्य में चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी पार्टी की सुविधानुसार नहीं किया जाएगा।
अब राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि केसीआर के द्वारा चले गये दांव से दक्षिण की विपक्षी पार्टियां घबरा सी गई हैं। इस घबराहट भरे हड़बड़ाहट से चंद्रबाबू नायडू कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों से भी समझौता कर तेलंगाना विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।
यह गठबंधन आंध्रा में भी चालू रह सकता है यदि तेलंगाना में उन्हें उत्साहजनक सफलता मिली।
इसी के ठीक विपरीत राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा और है जिसकी चर्चा मैं कल के अपने संपादकीय में कर चुका हूं कि राहुल गांधी को साथ देने में मायावती और अखिलेश ने एक तरह से इंकार ही कर दिया है। पेट्रोल र्इंधन की बढ़ी कीमतों के विरोध में भारत बंद में बसपा और सपा का समर्थन कांग्रेस को नहीं मिला था।