राजधानी दिल्ली के जनपथ रोड पर स्थित आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में 8 सितंबर को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय पदाधिकारी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का इंतजार कर रहे थे. पार्टी महासचिव और विभिन्न राज्यों के प्रभारी अपने संबंधित राज्यों के सियासी हालात और डेटा के ब्यौरे के साथ वहां डटे थे. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शुरुआत से पहले पदाधिकारियों से चर्चा कर शाह यह टटोलना चाह रहे थे कि 2019 में पार्टी के खिलाफ महागठबंधन कितना नुक्सान पहुंचाने की स्थिति में है.
वैसे, पदाधिकारी केवल उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में ही विपक्षी गठबंधन से मिलने वाली चुनौती का जिक्र कर पाए. इसका जिक्र भी आया कि 200 लोकसभा सीटों पर महागठबंधन में शामिल दलों का जातीय समीकरण भाजपा के लिए चिंता की वजह बन सकता है. यह सुनने के बाद शाह ने सवालिया लहजे में कहा, “सवर्णों के आंदोलन से पार्टी के परंपरागत अपर कास्ट वोटर नाराज होकर महागठबंधन के पाले में जा सकते हैं?”
भाजपा अध्यक्ष के ऐसा कहते ही कुछ पल के लिए बैठक में सन्नाटा छा गया. हालांकि इस आशंका भरी खामोशी खुद शाह ने तोड़ा और कहा, “2019 में पिछली बार से अधिक वोट और अधिक सीट भाजपा को मिलना तय है.”
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