वीरों की भूमि राजस्थान में सत्तारूढ़ बीजेपी को पार्टी के बागी नेता इस साल के आखिर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में सिरदर्द साबित हो सकते हैं। इन सारे बागी नेताओं में बगावत की एक वजह समान है। राजनीतिक विश्लेषक राकेश श्रीवास्तव के मुताबिक ये नेता राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की कार्यशैली से नाखुश हैं।
राज्य के शेओ (बाड़मेर) सीट से विधायक मानवेंद्र सिंह बागियों की सूची में शामिल हुए ताजा चेहरे हैं। इस सूची में घनश्याम तिवारी, हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी सिंह बैंसला भी शामिल हैं। मजेदार बात यह है कि ये सभी नेता अलग-अलग समुदायों से हैं और इनका अपने समुदाय में काफी प्रभाव है। विश्लेषकों के मुताबिक ये लोग कांग्रेस का कम और बीजेपी के वोटों को ज्यादा काट सकते हैं।
मानवेंद्र सिंह
बैंसला ने अभी तक यह घोषित नहीं किया है कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं लेकिन अन्य नेता बीजेपी के लिए वोटकटवा साबित हो सकते हैं। मानवेंद्र के करीबी लोगों ने बताया कि उनकी पत्नी चित्रा सिंह इस बार चुनाव लड़ेंगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र ने तीन दिन पहले ही बीजेपी का साथ छोड़ा है। उन्होंने ऐलान किया है कि वह अपने पिता की जगह पर बाड़मेर से चुनाव लड़ेंगे जहां से जसवंत सिंह को टिकट देने से बीजेपी ने मना कर दिया है।
राजपूतों में काफी प्रभावशाली हैं मानवेंद्र
जसोल राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले मानवेंद्र सिंह का शानदार राजपूत इतिहास रहा है। उनके परिवार का बाड़मेर और जैसलमेर के राजपूतों में काफी प्रभाव रहा है। जसवंत सिंह के साथ बीजेपी के कथित भेदभावपूर्ण व्यवहार से मानवेंद्र को राजपूतों के साथ-साथ अन्य समुदायों जैसे ब्राहृमण और मुस्लिम मतदाताओं के वोट मिल सकते हैं। उन्होंने दावा किया है कि वह बीजेपी के खिलाफ आत्मसम्मान के लिए लड़ेंगे।
घनश्याम तिवारी
बीजेपी से छह बार विधायक रह चुके घनश्याम तिवारी दो बार मंत्री रहे हैं। उन्होंने इस साल जून महीने में बीजेपी से नाता तोड़ लिया था। वह सीएम वसुंधरा राजे की कार्यशैली से नाराज हैं। उन्होंने अपनी पार्टी भारत वाहिनी सेना बनाई है।
ब्राहृमणों में अच्छा प्रभाव
एक लोकप्रिय ब्राहृमण चेहरे घनश्याम तिवारी का सीकर और जयपुर में अपने समुदाय के लोगों में अच्छा प्रभाव है। वर्ष 2013 में वह सांगनेर सीट से 60 हजार से अधिक वोटों से जीते जो सबसे अधिक था। उनकी पार्टी करीब 15 सीटों पर बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है। इन सीटों पर ब्राहृमण मतदाता काफी तादाद में हैं। तिवारी ने दावा किया है कि वह राजस्थान से वसुंधरा राजे सिंधिया की सरकार को उखाड़ फेकेंगे।
हनुमान बेनीवाल
नागौर के फायरब्रैंड जाट नेता हनुमान बेनिवाल पहली बार वर्ष 2008 में बीजेपी के टिकट पर खिनवसार से विधायक बने थे। लेकिन बाद में वसुंधरा राजे के साथ मतभेद के बाद उन्होंने बीजेपी छोड़ दी।
नागौर में अच्छा प्रभाव
बेनीवाल का नागौर में अच्छा प्रभाव है। एक स्टूडेंट लीडर होने के नाते उनकी युवाओं विशेषकर जाट समुदाय पर विशेष पकड़ है। उनका दावा है कि वह नागौर से बीजेपी को एक भी सीट नहीं जीतने देंगे।
किरोरी सिंह बैंसला
गुज्जर आंदोलन के पोस्टर बॉय रहे किरोरी सिंह ने वर्ष 2008 में पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। वर्ष 2009 में उन्होंने टोंक-सवाई माधोपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह कांग्रेस के नमो नारायण मीणा से चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने बीजेपी से किनारा कर लिया।
गुर्जरों में अच्छी पकड़
किरोरी सिंह का अभी भी गुर्जरों में अच्छा प्रभाव है। उन्होंने गुर्जर आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह करीब 35 सीटों खासकर गुर्जर बाहुल्य पूर्वी राजस्थान में प्रभाव डाल सकते हैं। किरोरी ने दावा किया है कि वह उस पार्टी का समर्थन करेंगे जो गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देगी।
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