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Editorial :- यूपीए शासनकाल में मालामाल भगोड़े संजय भंडारी जांच एजेंसियों के रडार पर रहते हुए राफेल सौदे को चाहे थे हड़पना..

29 September 2018

२३ सितंबर को लोकशक्ति में सर्वप्रथम खुलासा किया गया था कि यूपीए शासनकाल के समय राफेल सौदा वाड्रा के पार्टनर भगोड़े संजय भंडारी की कंपनी ओआईएस को दिलाने का प्रयास हुआ था।
२३ सितंबर के उपरांत २४,२५,२६ सितंबर के संपादकीय में भी लगातार इसका खुलासा होते रहा है।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि भगोड़े संजय भंडारी की तरक्की में ही छिपा है वाड्रा का राज।
 संजय भंडारी का उत्थान बिल्कुल वैसा ही है जैसा राबर्ट वाड्रा का। भंडारी की जिंदगी में भी आर्थिक विस्तार उसी वक्त हुआ जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। ईडी के सूत्र बताते हैं कि रॉबर्ट वाड्रा से कथित जुड़ाव के चलते संजय भंडारी ने पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से खुद को मजबूत किया।
 यहॉ पर यह उल्लेख करना आवश्यक है कि राफेल सौदे की प्रक्रिया यूपीए शासनकाल मेें २००६ में प्रारंभ हुई।
वाड्रा के पार्टनर भगोड़े संजय भंडारी को राफेल सौदे में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के निर्देश पर उस समय के रक्षामंंत्री के एंटोनी ने किया था।
सोनिया गंाधी, मनमोहन सिंह एंटोनी के निर्देश पर ही वाड्रा के पार्टनर भगोड़े संजय भंडारी ने ओआईएस कंपनी को प्रोजेक्ट किया और राफेल सौदे में इसका प्रवेश हुआ।
हथियारों के डीलर संजय भंडारी के खिलाफ जांच कम से कम दो रक्षा सौदे जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।
सूत्रों के मुताबिक, भंडारी, जिसका सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के साथ कथित संबंध एक्सप्रेस द्वारा रिपोर्ट किया गया था, को भारतीय वायुसेना के बुनियादी प्रशिक्षक विमान खरीद में शामिल होने का संदेह रहा है, जिसके लिए डॉलर 4,000 करोड़ रुपये का सौदा था 2012 में पिछली यूपीए सरकार के दौरान हस्ताक्षर किए।
जांच एजेंसियां हजारों करोड़ रुपये के मिराज अपग्रेड प्रोग्राम की जांच आगे बढ़ा रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि यूपीए 2011 में सत्ता में था जब इस सौदे पर भी हस्ताक्षर किए गए थे।
सूत्रों ने कहा, ‘मुख्य रूप से जांच का ध्यान भंडारी द्वारा की गई  चोरी  की जांच करना है और क्या स्कैनर के तहत आने वाली तीन कंपनियां उनके द्वारा प्राप्त स्लैश फंडों अवैध धन को चलाने में शामिल थीं।
प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही पहली कंपनी ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड है, जिसे 13 फरवरी, 2008 को भंडारी के साथ निदेशकों में से एक के रूप में जारी किया गया था और इसका कार्यालय दिल्ली में है।
भंडारी की माइक्रोमैट एटी ्रञ्जढ्ढ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कथित कर चोरी और स्लैश फंडों के दौरट्रिपिंग के लिए भी स्कैनर के तहत है।
नवंबर 2010 में भंडारी के साथ निर्देशक के रूप में माइक्रोमैट लॉन्च किया गया था।
तीसरी कंपनी, जिसे कथित मनी लॉंडरिंग और टैक्स चोरी के लिए जांच की जा रही है, जनवरी 2004 में अवाना सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड शामिल है। भंडारी को जनवरी 2007 में अवाना में निदेशक नियुक्त किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि वाड्रा के पार्टनर भंडारी संदिग्ध शेल कंपनी स्काईलाइन के दीपक अग्रवाल से भी जुड़ा हुआ है।
सोनिया गांधी के दामाद राहुल गांधी के जीजा जी का संबंंध कांग्रेस के अलावा और किस राजनीतिक पार्टी से रहा है इसकी विस्तार से चर्चा अगले संपादकीय में विस्तार से की जायेगी।