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भारत-उज्बेकिस्तान के बीच रक्षा संबंध होंगे मजबूत,संवाद को दिया जायेगा बढ़ावा

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भारत और उज्बेकिस्तान ने अफगानिस्तान में आंतरिक शांति बहाली के लिए परस्पर संवाद को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय सुरक्षा एवं शांति सुनिश्चित करने के वास्ते मिलकर काम करने के इरादे का आज इज़हार किया तथा रक्षा, पर्यटन, विज्ञान एवं तकनीक, फार्मास्युटिकल्स, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के 17 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जीयोयेव के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बैठक में ये फैसले लिए गए. दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में आगरा एवं समरकंद के बीच सहोदर शहर और गुजरात एवं अंदीजान प्रांत के बीच सहोदर प्रांत करार पर भी हस्ताक्षर किए गए.
पीएम मोदी ने बाद में अपने प्रेस वक्तव्य में भारत एवं उज्बेकिस्तान के बीच रक्षा संबंधों में वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मुलाकात के दौरान हमने संयुक्त सैन्य अभ्यास और सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण समेत अन्य आवश्यक क्षेत्रों में रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की है. इस विचार-विमर्श में एक बार फिर स्पष्ट हुआ है कि भारत और उज़्बेकिस्तान सुरक्षित और समृद्ध बाह्य वातावरण चाहते हैं. उन्होंने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए उज़्बेकिस्तान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि स्थिर, लोकतांत्रिक और समावेशी एवं समृद्ध अफग़़ानिस्तान पूरे क्षेत्र के हित में है. मुझे खुशी है कि इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच नियमित रूप से सम्पर्क बनाए रखने का निर्णय लिया गया है. इसमें भारत उज़्बेकिस्तान के साथ हर संभव सहयोग करेगा.
मिर्जीयोयेव ने भी अपने वक्तव्य में कहा कि अफगानिस्तान को लेकर उनका देश बहुत गंभीर है और मानता है कि वहां की समस्या का समाधान सैन्य ढंग से नहीं निकाला जा सकता. विभिन्न समूहों एवं सरकार के बीच केवल राजनीतिक वार्तालाप के माध्यम से ही कोई हल निकल सकता है. उज़्बेकिस्तान इसमें पूरी तरह से सहयोग देगा और भारत के साथ मिल कर काम करने का इच्छुक है.