पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में दावा किया कि उनके देश के डाक विभाग ने कुछ महीने पहले जो स्टैम्प जारी किए थे, वो कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन दिखाते हैं. इन स्टैम्प को पाकिस्तान की ओर से ‘भारत अधिकृत कश्मीर में अत्याचार’ का शीर्षक दिया गया था. पाकिस्तान विदेश दफ्तर ने प्रेस रिलीज में कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के साथ बातचीत को इन स्टैम्प का हवाला देकर रद्द कर दिया.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने पाकिस्तान की ओर से इन स्टैम्प में इस्तेमाल की गई 20 तस्वीरों की पड़ताल मे पाया कि कम से कम दो तस्वीरों में झूठ का सहारा लेकर पाकिस्तान ने दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की.
13 जुलाई 2018 को पाकिस्तान के डाक विभाग ने कथित ‘कश्मीर शहीद दिवस’ का नाम देते हुए 20 डाक टिकट जारी किए. इसे पाकिस्तानी मीडिया में भी खूब कवरेज दिया गया. इसका ब्लॉग में भी उल्लेख किया गया. पाकिस्तान में 8 रुपए प्रति स्टैम्प की कीमत पर इन्हें बेचा गया.
बीजेपी की दिल्ली यूनिट के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में दिखाई गई एक तस्वीर को ट्वीट किया.
बग्गा के मुताबिक ये तस्वीर दिल्ली के जंतर मंतर पर 19 जनवरी को विस्थापित कश्मीरी पंडितों के धरने की थी. कश्मीरी पंडितों ने ये धरना कश्मीर में अपने घर छोड़ कर बड़ी संख्या में पलायन के लिए मजबूर किए जाने की बरसी पर दिया था.
इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाकिस्तान डाक विभाग की ओर से स्टैम्प में इस्तेमाल की गई तस्वीरों के सच तक पहुंचने का फैसला किया. बग्गा के दावे से सुराग लेते हुए हमने कीवर्ड्स “Kashmiri Pandits protest at Jantar Mantar” नाम से इंटरनेट पर न्यूज रिपोर्ट्स को सर्च करना शुरू किया. ऐसी कई रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें उपरोक्त तस्वीर (जिसे बग्गा ने अपने ट्वीट के साथ शेयर किया था) का इस्तेमाल किया गया था. ये तस्वीर 1990 में कश्मीरी पंडितों के बड़ी संख्या में पलायन करने की बरसी पर दिल्ली के जंतर मंतर पर किए गए धरने की ही थी.
पाकिस्तान ने इस तस्वीर का इस्तेमाल ‘लापता लोग’ के शीर्षक के साथ किया था. इस तस्वीर को गेटी इमेजेस पर भी देखा जा सकता है. गेटी ने इस तस्वीर का क्रेडिट ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ को दिया है. और तस्वीर के शीर्षक में इसके खींचे जाने की तारीख 19 जनवरी 2014 का उल्लेख भी किया है.
हिन्दुस्तान टाइम्स के फोटोग्राफर सोनू मेहता ने इंडिया टुडे से पुष्टि करते हुए कहा कि ये तस्वीर उन्होंने 19 जनवरी 2014 को जंतर मंतर पर कश्मीरी पंड़ितों के धरना देने के दौरान ली थी. पाकिस्तान ने एक और तस्वीर का इस्तेमाल किया है जिसमें कुछ बच्चों को बैठे हुए दिखाया गया है. इसका शीर्षक दिया गया है- ‘बेघर बच्चे’
इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने जब इंटरनेट पर कीवर्ड्स ‘’Kashmiri children sitting and crying” के साथ सर्च की तो इस तस्वीर का असली सच भी सामने आ गया. इस तस्वीर के साथ ऐसी कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें श्रीनगर के पास छत्तीसिंहपोरा में मार्च 2000 में 36 सिखों की हत्या की जघन्य घटना का उल्लेख था.
BBC ने घटना को इस शीर्षक के साथ रिपोर्ट किया था- ‘सिखों का कश्मीर में संहार ’. रिपोर्ट के साथ बच्चों की रोते हुए वो तस्वीर भी थी जिसे पाकिस्तान ने अपनी स्टैम्प में इस्तेमाल किया.
छत्तीसिंहपोरा में सिखों की हत्या कथित तौर पर लश्कर आतंकवादियों ने की थी जो भारतीय सेना की वर्दी पहन कर वहां आए थे.(आप इस खबर को इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं )
फैक्ट चेक टीम की पड़ताल से सामने आया कि पाकिस्तान ने जिस स्टैम्प पर ‘लापता लोग’ का शीर्षक दिया वो कश्मीर में नहीं बल्कि दिल्ली के जंतर मंतर पर ली गई थी. इसी तरह जिस तस्वीर पर ‘बेघर बच्चे’ का शीर्षक पाकिस्तान ने दिया वो घाटी में सिखों पर लश्कर-ए-तैयबा के हमले के बाद की थी. साफ है कि पाकिस्तान ने इन तस्वीरों का गलत हवाला देकर दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की.
बता दें कि बीते साल संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने UNGA में एक फिलिस्तीनी लड़की की तस्वीर ये कह कर पेश कर दी थी कि वो पेलेट गन की पीड़ित कश्मीरी लड़की है.
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