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भारत और रूस मिलाएंगे दोस्ती का हाथ, क्या अमरीका होगा नाराज़

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिन के दौरे पर भारत में हैं.

इस दौरान पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय और प्रांतीय मुद्दों पर शिखरवार्ता होगी.
बताया जा रहा है भारत रूस से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एस-400 एयर डिफेन्स सिस्टम खरीदने वाला है और इससे संबंधित समझौते पर इस दौरे के दौरान समझौता होगा.
विघटन के पहले का सोवियत संघ भारत का गहरा मित्र हुआ करता था. लेकिन बीते कुछ सालों में जैसे-जैसे वैश्विक व्यवस्थाओं में बदलाव आते गए भारत का रुख़ अमरीका का तरफ झुकता गया.
माना जा रहा है कि अब एस-400 एयर डिफेन्स सिस्टम के साथ भारत फिर से अपने पारंपरिक मित्र रूस के साथ बेहतर संबंध बनाएगा.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफ़ेसर स्वर्ण सिंह कहते हैं, “बीते एक दशक (2005 के आसपास से) जैसे जैसे भारत का रुझान अमरीका की तरफ बढ़ा, उसका रुझान दूसरे देशों के साथ, ख़ास कर रूस की तरफ कम हुआ.”
“साथ ही सुरक्षा के लिहाज़ से भारत ने अमरीका और अन्य देशों से हथियार खरीदना शुरु किया जिसका असर भारत-रूस संबंधों पर पड़ा.”
प्रोफ़ेसर स्वर्ण सिंह बताते हैं कि जब मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने उस वक्त रूस ने चीन के साथ गैस पाइपलाइन के लिए 400 बिलियन डॉलर का तीस साल का एक समझौता किया था. इसके बाद से रूस और चीन के संबंधों में बदलाव आया.
वो कहते हैं कि चीन और पाकिस्तान से रूस की नज़दीकी भारत के लिए हमेशा से परेशानी का कारण रही है.
“भारत हमेशा कोशिश करता रहा है कि वो रूस को जतलाए कि वो भारत का ख़ास मित्र है. एस-400 समझौते का सांकेतिक महत्व ये है कि ये चीन और पाकिस्तान को इशारा है कि रूस अभी भी हमारा ख़ास दोस्त है.”
“साथ ही ये अमरीका को भी एक इशारा है कि हम आपके दोस्त हैं लेकिन हम आपकी सारी बातें मानने वाले नहीं हैं.”