राजिम महोत्सव के प्रारंभ से एक नव चेतना का प्रारंभ हुआ है. राजिम केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि तीन नदियों और उत्तर दक्षिण का संगम है. राजिम को केवल एक शहर के रूप में नहीं बल्कि राज्य के सांस्कृतिक विरासत के रूप में देखना चाहिए. यहां केवल नदियों का ही नहीं बल्कि विचारधाराओं का संगम होता है. यह बात राजिम के मेला मैदान में आयोजित राजिम भक्तिन माता जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कही.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि साहू समाज ने समाज को नई ऊंचाई देने का प्रयास किया गया है, जिसके लिए समाज बधाई का पात्र है. इस अवसर पर उन्होंने 3 बड़ी घोषणाएं की, जिनमें नया रायपुर में राजिम माता के नाम पर शोध संस्थान और सेवा कार्य के लिए 5 एकड़ जमीन देने, राजिम मेला स्थल में साहू समाज को भव्य धर्मशाला निर्माण के लिए 50 लाख रुपए देने और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फिंगेश्वर को राजिम माता के नाम पर करने की घोषणा की.
भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले वर्ष किए गए घोषणा के अनुरूप 54 एकड़ जमीन का चयन कर लिया गया है, और यहां तेजी से विकास किया जाएगा. यहां साधु-संतों के निवास से लेकर अधिकारी कर्मचारियों की रहने व्यवस्था, मंडप, मेला, मीना बाजार आदि के लिए स्थाई सुविधा विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा दे रही है, और इसी को केंद्र मानकर विकास कार्य कर रही है.
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