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देश में छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी के रूप में कोरबा का नाम है प्रचलित, पढ़े कोरबा का इतिहास

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राज्य की ऊर्जाधानी के रूप में कोरबा को जाना जाता है। यह बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आता है और मुख्य रूप से आदिवासी बहुल जिला है, जिसमें संरक्षित जनजाति कोरवा (पहाड़ी कोरवा ) भी आते हैं। जिला हरे-भरे वनों से आच्छादित है। वन क्षेत्रों में आदिवासियों का निवास है, जो की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषता अवम परंपरा को बनाए हुए है। कोरबा को छत्तीसगढ़ राज्य के आद्योगिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। जिले में विद्युत् उत्पादन के लिए आवश्यक सभी कच्चा माल (कोयला और पानी) प्रचुर मात्र में उपलब्ध है। जिले में स्थित ताप विद्युत् घर (एन.टी.पी.सी., केटीपीएस, बाल्को और बीसीपीपी, डीएसपीएम, सीएसईबी ईस्ट, सीएसईबी वेस्ट) से 3650 मेगावाट विद्युत् का उत्पादन किया जाता है। इनके अलावा, माचादोली, बांगो में स्थित एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन है। जिले में कोयला प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, कोल इंडिया लिमिटेड (एस.ई.सी.एल.) की कई महत्वपूर्ण कोयला खान जिले में स्थित है। इसके अतिरिक्त एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी (बालको) भी जिले में स्थित है। 25 मई, 1 998 को कोरबा को जिले का दर्जा दिया गया था। कोरबा छत्तीसगढ़ के उत्तर-मध्य भाग में स्थित एक आदिवासी बहुल जिला है।