Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

छत्तीसगढ़ी और क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यक्रम ‘आखर’ में साहित्यकार की कृतियों पर चर्चा

प्रभा खेतान फाउंडेशन, अभिकल्प फाउंडेशन, हयात रायपुर के संयुक्त प्रयास से छत्तीसगढ़ी राजभाषा और प्रदेश की अन्य बोलियों के लिए साहित्यिक कार्यक्रम ‘आखर’ की शुरुआत हुई। पहली कड़ी में छत्तीसगढ़ी के पहले उपन्यास ‘दियना के अंजोर’ के लेखक वरिष्ठ साहित्यकार शिवशंकर शुक्ल अतिथि थे। शुक्ल के साथ संजीव तिवारी ने सूत्रधार की भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में शुक्ल के छत्तीसगढ़ी साहित्य और रचनाओं पर बातचीत हुई।

उन्होंने बताया कि उनकी पहली रचना आठ वर्ष की उम्र में प्रयागराज से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘विनोद’ में प्रकाशित हुई। इसके बाद वे लंबे समय तक हिंदी में ही लिखते रहे। 50 के दशक में छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया। इस कार्य में उनके बड़े भाई स्व. दयाशंकर शुक्ल जी प्रेरणास्रोत रहे। हालांकि, यह पत्रिका सिर्फ एक साल तक ही प्रकाशित हो सकी, इसके बाद घाटे की वजह से इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा।

साठ के दशक में उन्होंने अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि को आधार बनाकर ‘दियना के अंजोर’ कृति को गढ़ा, जिसकी कथावस्तु का केंद्र उनकी भाभी का जीवन था। इसके बाद ‘मोंगरा’ नामक उपन्यास की रचना की, जिसका हिंदी अनुवाद प्रसिद्ध साहित्यकार और छत्तीसगढ़ के राजगीत के रचियता स्व. डा.नरेंद्र देव वर्मा ने किया। इसी उपन्यास का रुसी अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है।