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शिक्षा नीति वर्तमान भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का आधार


शिक्षा नीति वर्तमान भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का आधार


विद्या केन्द्र इन्फार्मेशन से ट्रासफामेंशन सेंटर बने :श्रीमती पटेल राज्यपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षको की मनोभूमिका विषय पर वेबिनार को संबोधित किया 


भोपाल : शनिवार, सितम्बर 5, 2020, 19:50 IST

राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्तमान और भावी पीढ़ी के भविष्य को उज्जवल और सुरक्षित बनाने के लिए लकीर से हट कर शैक्षणिक गुणवत्ता का प्रयास है। उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्र का आधार गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा होती है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का आधार शिक्षक होते है। शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए विद्या केन्द्रों को इन्फार्ममेशन सेटर से ट्रांसफार्ममेशन सेंटर बनना होगा शिक्षको को ट्रांसफार्मर बनना होगा। श्रीमती पटेल आज लखनऊ राजभवन से विद्याभारती मध्य भारत द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षको की मनोभूमिका विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रही थी।राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि व्यक्तिव निर्माण की नींव प्राथमिक शिक्षा होती है। महाकाव्य महाभारत के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि गर्भावस्था में भी बच्चा सीखता है। इस आधार पर विदेशों में कार्य हो रहा है। हमारा देश इसे भूल रहा है। जरुरी है कि भावी और गर्भवती माताओं के सशक्तीकरण पर बल दिया जाये। उन्होंने कहा कि प्रचलित शिक्षा व्यवस्था में क्या सोचे पर फोकस है। नई नीति में कैसे सोचा जाये पर बल दिया गया है। उन्होंने बाल कथा के मध्यम से बताया कि दादा के द्वारा लाए गए अनार का दादी ने जूस निकाल कर मुझे पिलाया है। मेरी शक्ति का आधार है। इस सामान्य सी कथा पर कौन फल लाया किस ने जूस निकाला जैसे प्रश्न प्रचलित शिक्षा प्रणाली में सम्मलित किये जाते है। जबकि इसी कथा से शिक्षक बच्चों में पारवारिक मूल्यों, प्रेमस्नेह, पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य का संदेश दे सकते हैं। कथा के माध्यम से दादा-दादी ने बचपन में मेरा ध्यान रखा है। वह सम्मानीय है। स्वास्थ्य के लिए फल जरुरी है। फल के लिए पेड़ और पेड़ के लिए पर्यावरण की महत्ता समझायी जा सकती है। बच्चों के द्वारा खेले जाने वाले खिलौने भी उनकी अभिरुचि बनाते है। उन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।श्रीमती पटेल ने कहा कि बच्चों में श्रम की गरिमा और सम्मान के संस्कार भी बचपन से दिये जाने चाहिए। युवाओं को बताया और दिखाया जाना चाहिए कि उनकी सामान्य जरुरतों के लिए कितने मेहनतकश परिवार कितना अथक परिश्रम करते है। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षा जगत के सभी सदस्यों को सोचना चाहिए कि भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में भेदभाव की यह बुराई कहां से आई। ऊंच-नीच का भाव, मेहनत-मजदूरी करने वालों के प्रति हीन-भाव की विकृति हमारे अंदर कैसे घर कर गई। उन्होंने कहा कि युवाओं, विद्यार्थियों में गहन और अभिनव सोच को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षक को विद्यार्थियों में जिज्ञासा और अभिनव सोच को बढ़ावा देना होगा। शिक्षण विधि में इसके लिए पर्याप्त स्थान रखना होगा। जब विद्याथीं चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, वैज्ञानिक तरीके से पढ़ेगा, तेजी से बदलती जरूरतों और समय के हिसाब से पढ़ेगा, तभी वो राष्ट्रनिर्माण में सकारात्मक भूमिका निभा पाएगा। उन्होंने पढ़ाई के लिए लंबा-चौड़ा पाठ्यक्रम, ढेर सारी किताबों की अनिवार्यता को कम करने की बात कही। परीक्षण, अनुसंधान विमर्श और विश्लेषण आधारित सीखने के तरीको को बढ़ाया जाना चाहिए। ताकि हर विद्यार्थी को अवसर मिले कि वो अपने जुनून को पूरा करने का भरसक प्रयास कर सकें। उसकी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से कोई भी डिग्री या कोर्स कर सकें। अगर उसका मन करे तो वो उसे छोड़ भी सके। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी। उनकी कक्षा में भागीदारी भी बढ़ेगी।उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुसार गढ़ने की सुविधा शिक्षको को मिली है। शिक्षण काल में छात्र छात्राओं में उत्साह, अनुशासन और अनुभव के गुणों का समावेश कर के आत्म निर्भर भारत के निर्माण का संकल्प पूरा किया जा सकता है। उन्होंने शिक्षकों का आव्हान किया कि शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए खुली विचार धारा के साथ विद्यार्थीयों का सहयोग कर एक नई कार्य संस्कृति का निर्माण करें, नवाचार और अनुकूलन की जो मान्यताएं हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं, उन्हें खुद, संस्थानों में स्थापित करें। उन्होंने कहा कि आधुनिक टेक्नोलॉजी ने हमें बहुत तेजी से, बहुत अच्छी तरह से, बहुत कम खर्च में, समाज के आखिरी छोर पर खड़े छात्र-छात्रा तक ज्ञान पहुंचने में सक्षम किया है। जरूरी है कि आधुनिक तकनीक का शिक्षक अधिक से अधिक उपयोग करें।राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि विद्याभारती शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाला सबसे बड़ा संगठन बन चुका है। उन्होंने सभी का आव्हान किया कि नई शिक्षा नीति राष्ट्र, निर्माण, बच्चों के भविष्य, मातृभूमि का कर्ज चुकाने का अवसर है। सर्व समर्थ भारत बनाने के लिए शिक्षको को रचनात्मक प्रतिभा और प्रतिबद्ध जीवन के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्सहित करना चाहिए।इस अवसर पर विद्याभारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीराम अरोवकर ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। संचालक प्रांत प्रमुख विद्याभारती श्री राम कुमार भावसार ने संचालन किया। पूज्यस्वामी गिरीशानंद जी महाराज, अखिल भारतीय संयोजिका विद्याभारती जबलपुर सुश्री रेखा बेन, प्रांतीय अध्यक्ष विद्या भारती श्री शिरोमणि दुबे, प्रांतीय संगठन मंत्री विद्याभारती श्री हितानंद शर्मा भी कार्यक्रम में शामिल थे।


अजय वर्मा