
तीन कृषि कानून और चार श्रम कोड की प्रतियों को भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों ने बुधवार सुबह जलाया और फाड़ा। वामदल और उनसे जुड़े श्रम-संगठनों ने सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। सरकार विरोधी नारेबाजी की। संयंत्र के मुख्य प्रवेश द्वार के मुर्गा चौक पर हाथों में झंडे और तख्तियां लिए कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। किसान आंदोलन का समर्थन किया।
श्रमिकों के अधिकारियों में की जा रही कटौती पर रोष जताया। मार्क्सवादी पार्टी से वेंकट, योगेश सोनी, जमील अहमद, सीआइपी से विनोद कुमार सोनी, बसंत उइके, सीपीआइएमएल से श्याम लाल साहू, ए. शेखर राव, शिव कुमार प्रसाद ने श्रमिकों और किसानों के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए। सेंटर आफ स्टील वर्कर्स एक्टू के महासचिव श्याम लाल साहू ने कहा कि श्रमिकों को गुलाम बनाने की साजिश को सरकार मूर्तरूप दे रही है।
कारपोरेट घरानों को सरकारी कंपनियों को सौंपने के लिए नियमों और कानून में बदलाव किया जा रहा है। इसी तरह किसानों को भी परेशान किया जा रहा है। इसलिए किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। यह किसानों का ऐतिहासिक संघर्ष है और साथ ही एक ऐतिहासिक मौका है। जब भारतीय मजदूर वर्ग को किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस युद्ध में कूद जाना होगा।
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