नई दिल्ली.केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस ने रविवार को आधार से प्राइवेसी हनन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, कि जब हम यूएस जाते हैं तो अपनी सारी जानकारी आसानी से दे देते हैं। वहीं, जब सरकार नाम और पता पूछ लेती है तो यह प्राइवेसी में दखल का मामला बन जाता है।
यूएस में 10 पेज का फॉर्म भरना पड़ा
– केंद्रीय विद्युत और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने फ्यूचर डिजिटल समिट में कहा, “जब मैंने अमेरिका के लिए वीसा अप्लाई किया था तो मुझे 10 पेज का फॉर्म भरना पड़ा था। हम यहां फिंगर प्रिंट से अंग्रेजों के सामने बॉडी नेक्ड तक आसानी से कर लेते हैं। वहीं जब सरकार जानकारी मांगती है तो यहां प्राइवेसी में हस्तक्षेप के नाम पर बड़ी क्रांति शुरू हो जाती है।’
तीन साल में डाटा लीक का एक भी मामला नहीं
– अल्फोंस ने आधार में डाटा को पूरी तरह से सुरक्षित बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को साढ़े तीन साल से ज्यादा समय हो गया है। लेकिन बायोमेट्रिक से डाटा लीक का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
– सरकार पूरी तरह से डाटा सेफ रखने के लिए लगी हुई है। इसके लिए रोज नई तकनीकि का इस्तेमाल हो रहा है। सरकार आपके डाटा कोे पूरी तरह से सुरक्षित रखेगी।
राहुल पर पलटवार
– केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी के आरोपों पर कहा, “प्रधानमंत्री आप के डाटा को विदेशी कंपनियों को देंगे। ऐसी खबरों पर विश्वास न करें।”
– बता दें कि राहुल गांधी ने रविवार को ट्विटर पर खुद को नरेंद्र मोदी बताते हुए आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी ऐप का इस्तेमाल करने वालों का डाटा अमेरिकी कंपनियों को दिया जा रहा है।
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