छत्तीसगढ़ के जनकवि और रचनाकार लक्ष्मण मस्तूरिया का शनिवार को निधन हो गया है. दिला का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ. वे कुछ दिनों से बीमार भी थे. इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के दौरान उनका निधन हुआ. मिली जानकारी के अनुसार लक्ष्मण मस्तूरिया कुछ दिनों से बीमार थे. परिजन उन्हे अस्पताल ले जा रहे थे. अस्पताल ले जाते वक्स रास्ते में उनका निधन हो गया. 69 साल की उम्र में लक्ष्मण मस्तूरिया ने अपनी अंतिम सांसे ली. लक्ष्मण मस्तूरिया को छत्तीसगढ़ का जनकवि कहा जाता था. बिलासपुर जिल के मस्तुरी में 07 जून 1949 को उनका जन्म हुआ. छत्तीसगढ़ी साहित्य में भी उन्होने महत्वपूर्ण योगदान दिया. जनकवि लक्ष्मण मस्तूरिया मूलतः गीतकार रहे. मोर संग चलव रे, मैं छत्तीसगढ़िया अंब रे आदि उनकी लोकप्रिय गीतों की रचना है. हमू बेटा भुंइया के, गंवई-गंगा, धुनही बंसुरिया, माटी कहे कुम्हार से, सिर्फ सत्य के लिए उनकी प्रमुख कृतियां रही.लक्ष्मण मस्तूरिया रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान (दुर्ग) और सृजन सम्मान से नवाजे गए थे.
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