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गीदम पहुंची महातपस्वी आचार्य महाश्रमण की पदयात्रा, सभी समाज के लोगों ने ढोल-नगाड़े से किया स्वागत

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पंकज सिंह भदौरिया,दंतेवाड़ा। बीते तीन दिनों से जैन धर्म के महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी दंतेवाड़ा जिले के पदयात्रा पर है.  अहिंसा, नैतिकता और सद्भावना का संदेश जन जन तक बीते 7 वर्षो से हजारों किमी की पदयात्रा कर दे रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी एजुकेशन सीटी जावंगा में आचार्य महाश्रमण जी के पहुँचने से पहले हजारों भक्त उनके दर्शनों के लिए आतुर नजर आए. ढोल नगाड़ों से उनका स्वागत सत्कार किया गया.

जब अहिंसा के पुजारी आचार्य जी का मंगल पदार्पण गीदम नगर में प्रवेश किया, तो शिर्डी साई फाउंडेशन, बंगाली समाज, अंजुमन इस्लामिया कमेटी, सर्व गुप्ता समाज, हरिजन समाज, गायत्री परिवार, सर्व ब्राह्मण समाज, सोनी समाज ने गीदम मुख्य द्वार पर उनका स्वागत सत्कार किया. आचार्य महाश्रमण जी गीदम नगर में 2 दिनों का मंगल विहार करते हुए प्रवास करेंगे.

महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपने प्रवचन में कहा कि मनुष्य राग द्वेष के कारण हिंसा में प्रवित्त हो जाता है. ये राग द्वेष की प्रवृत्ति के कारण होता है. उसे अहिंसा का मार्ग हमेशा अपनाना चाहिए. अहिंसा से जीवन में शांति और सुखों का प्रवेश होता है. इस यात्रा को सात वर्ष हो गए. आज गीदम में हम पहुँचे है. गीदम के बाल मुनि ऋषि कुमार भी हमारे साथ है. जिन्हें दीक्षा बेंगलोर में दिलाई गई थी. आज हम उनके सांसारिक पक्षीय जन्मभूमि गीदम में आये हैं. इस अवसर पर सभी को सुख और शांति मिले. इस अवसर पर पूर्व जिलाध्यक्ष विमल सुराना आचार्य श्री महाश्रमण जी के आगमन पर सम्पूर्ण जबाबदारी निर्वहन करते नजर आए. सुराना ने कहा सौभाग्य से यह अवसर हमें मिला है. गीदम की ये धरती गुरुदेव के श्रीचरणों से पूण्य हो गई

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