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लेमनग्रास की खेती ने कोरिया जिले के आदिवासी किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण की नई राह दिखाई

महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों की देख-रेख में हुए पौधारोपण के साथ लेमनग्रास की अंतरवर्ती खेती ने कोरिया जिले के आदिवासी किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण की एक नई राह दिखलाई है। रटगा गाँव के पांच किसानों के अनुरोध पर कृषि विज्ञान केन्द्र की टीम ने सामूहिक फलदार पौधरोपण के बीच लेमनग्रास और शकरकंद की अंतरवर्ती खेती का एक प्रस्ताव तैयार किया। किसानों के आत्मबल और महात्मा गांधी नरेगा के सहयोग से साल 2020 के मई माह में इस प्रस्ताव का क्रियान्वयन शुरु हुआ। कोरोना माहमारी के बीच शुरु हुए इस कार्य ने इन किसानों के साथ-साथ गाँव के अन्य ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। लॉक डाउन अवधि में यहाँ 53 मनरेगा श्रमिकों को 3076 मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराते हुए 5 लाख 62 हजार 400 रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया। इन पाँचों किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण की इस महती परियोजना में तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करने वाले कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक  आरएस राजपूत ने बताया कि किसानों की भूमि की गुणवत्ता के अनुसार यहाँ फलदार पौधों का रोपण करवाया गया था और उनके बीच अंतरवर्ती फसल के रूप में लेमनग्रास (कावेरी प्रजाति), शकरकंद (इंदिरा नारंगी, इंदिरा मधुर, इंदिरा नंदनी,  भद्रा,  रतना प्रजाति) की खेती कराई गई है।

उन्होंने आगे बताया कि लेमनग्रास की प्रथम कटाई अगस्त, 2020 में की गई थी। एक बार लेमनग्रास लगाने के उपरांत इसकी खेती 4 से 5 साल तक की जा सकती है तथा प्रत्येक वर्ष 60 से 70 दिनों के अंतराल पर 4 से 5 बार कटाई की जा सकती है। जिले में किसानों का उत्पादक समूह बनाकर, उनके माध्यम से तेल निकालने की यूनिट भी लगाई गई है। इस यूनिट से कच्चे माल को इसेन्सियल ऑयल के रुप में प्राप्त किया जा रहा है। परियोजना में इन्हें अब तक लेमनग्रास की 60 टन पत्तियों की बिक्री से 60 हजार रुपए, वहीं इसके 1 लाख 8 हजार नग स्लिप्स को बेचने से 81 हजार रुपए की आय हो चुकी है। इसके अतिरिक्त शकरकंद की 52,500 नग (शकरकंद वाईन कटिंग) को बेचने से उन्हें 91 हजार 875 रुपए का लाभ हुआ है। आने वाले दिनों में इस समूह को शकरकंद की फसल एवं रोपित फलदार पौधों से लेयरिंग, कटिंग, ग्राफ्टिंग व बीज द्वारा उच्च गुणवत्ता की तैयार नई पौध के विक्रय से भी अतिरिक्त आमदनी होगी। आज की स्थिति में यह परियोजना इनकी नियमित आय का महत्वपूर्ण साधन बन चुकी है।