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1860 में मुंगेली को तहसील का दर्जा मिला था, ऋषियों ने श्वेत गंगा का नाम दिया था लेकिन अब सेतगंगा.

142 साल पुरानी प्रदेश की सबसे बडी तहसीलों में से एक मुंगेली को जिला बनाया गया। मुंगेली को तहसील का दर्जा 1860 में मिला था। इस तरह 142 बरस मुंगेली तहसील से जिला बन पाया। नये जिले में तीन तहसील मुंगेली, पथरिया और लोरमी शामिल है। जिले का कुल क्षेत्रफल 1 लाख 63 हजार 942 वर्ग किलो‍मीटर है। मुंगेली जिले में कई धार्मिक एवं पर्यटन स्थल मौजूद हैं। जहां पर हर साल एक बड़ा मेला भी लगता है। बताया गया कि फणीनागवंशी राजा के सपने में त्रिपथगामनी गंगा ने प्राकट्य होकर कुंड व मंदिर की स्थापना के निर्देश दिए थे। उन्होंने सेतगंगा में कुंड व मंदिर को भव्य रूप देने का निर्देश माना। कुंड का जल गंगा के समान शीतल व निर्मल था। इसलिए ऋषियों ने इसे श्वेत गंगा का नाम दिया था। जो बोलचाल में सेतगंगा हो गया। टेसुआ के तट पर बसा यह स्थान मुंगेली जिले का तीर्थ कहलाता है।

मुंगेली जिले में ही मदकू द्वीप, मो‍तीमपुर, हथनीकला मंदिर, सत्यनारायण मंदिर जैसे कई धार्मिक‍ स्थान भी हैं। लोरमी तहसील भी इसी जिले में हैं। इस तहसील में प्रसिदृ अचानकमार अभ्यांरण भी हैं जिसे 2009 में टाईगर रिजर्व घोषित किया गया। जिले में एक प्रसिदृ दर्शनीय स्थल खुडिया बांध भी है। जो तीनों ओर से पहाडियों से घिरा हुआ है। मनियारी नदी पर बने होने के कारण इसे मनियारी जलाशय के नाम से भी जाना जाता है। मदकू द्वीप में 10वीं-12वीं शताब्दी का अति प्रचीन शिव मंदिर है। शिवनाथ नदी की धारा के दो भागों में विभक्त होने के कारण यह स्थान द्वीप के रूप में बन गया है। मुंगेली से इसकी दूरी मात्र 45 किलोमीटर है।