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Editorial :- नकली हिन्दुत्व व केजरी-गोएबल्स डाक्ट्राइन का प्रभाव क्या लोकसभा चुनाव पर भी रहेगा हावी?

12 December 2018

पांचो विधानसभा चुनावों के नतीजें लगभग चुके हैं। टीआरएस की तेलंगाना में वापसी और मिजोरम में कांग्रेस की विदाई और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सफाई तथा राजस्थान और मध्यप्रदेश नतीजों ने कांग्रेस को धरती पर रहने को मजबूर किया है।

हमारे यहॉ के चुनावों में पाकिस्तान और चीन का बढ़ता हस्तक्षेप :

>> किसी की यह कमेंट बड़ी रोचक लगती है कि विधानसभा नतीजों से सर्वाधिक खुशी राहुल गांधी से भी बढ़कर यदि किसी को हुई है तो वे हैं खालिस्तानी गोपाल चावला और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान तथा इन दोनों से पाकिस्तान में मिले नवजोत सिंह सिद्धू।

इन नतीजों से एक बात और निकल कर सामने आई है कि  भारत के चुनावों में विकास के मुद्दे से भी बढ़कर जातिवाद और हिन्दुत्व तथा मुस्लिम तुष्टिकरण के मुद्दे ही हावी नहीं होते हैं बल्कि इन सब मुद्दों पर हावी इस चुनाव में हुए हैं तो वह है हमारे यहॉ के चुनावों में पाकिस्तान और चीन का बढ़ता हस्तक्षेप।

आज का समाचार है जिसके अनुसार बंगलादेश ने पाकिस्तान पर लगाया है इलेक्शन प्रोसेस में दखल देने का आरोप।  

पाकिस्तानी राजनयिकों ने पिछले हफ्ते कई बार बीएनपी के सीनियर लीडर्स से की थी मुलाकात।

बीएनपी के टॉप लीडर अब्दुल अवल मिंटू ने कहा, पार्टी की इजाजत बगैर हुई हैं ये मुलाकातें।

बीएनपी और उसके कट्टरपंथी सहयोगी को 1970 के दशक से ही सपॉर्ट करता रहा है पाक।

यह समाचार विस्तृत रूप से नवभारत टाईम्स में पढ़ा जा सकता है।

> पांचो विधानसभा चुनावों के नतीजों से एक बात और स्पष्ट हुई है कि मतदाताओं को भ्रमित करने में फिलहाल फिलहाल केजरीगोएबल्स डाक्ट्राइन का चलन प्रभावी होते जा रहा है।  

शीला दीक्षित का १५ वर्षों का कांग्रेस का शासन का वही हश्र हुआ था जैसा की अभी छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासन का हुआ है। आप पार्टी को यह विजय केजरीवाल ने हिटलर के प्रचारमंत्री गोएबल्स की डाक्ट्राइन का अनुकरण करने के कारण प्राप्त हुई थी। आम आदमी पार्टी की विजय के तुरंत बाद पत्रकारों के प्रश्रों का उत्तर देते हुए राहुल गांधी ने उस समय कहा था कि वे ये जानने की कोशिश करेंगे कि यह जानने की कि केजरीवाल को विजय क्यों प्राप्त हुई है?

कारण जानने के बाद राहुल गांधी ने केजरीगोएबल्स डाक्ट्राइन का अनुकरण करना प्रारंभ कर दिया और झूठ पर झूठ बोलते हुए भाजपा पर आफेंसिव प्रहार करते रहे।

लोग झूठ को भी बारबार बोले जाने से उसे सच ही समझने  के आदी हो चले हैं ऐसा इन नतीजों से आभाष होता है।

दोतीन उदाहरण यहॉ देना पर्याप्त है : जीत से उत्साहित कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दफ्तर में लहराया भगवा ध्वज।

 कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जीत का जश्न मनाते समय अपने सॉफ्ट हिंदुत्व वाली छवि दिखाने की कोशिश की।  इसी कड़ी में प्रदेश के  अगलअलग हिस्सों से कांग्रेस कार्यकर्ता भगवा झंडे और हाथों में गदा लेकर कांग्रेस के दफ्तर में एकत्रित हुए। उन्होंने कहा कि वो ये गदा और भगवा ध्वज कमलनाथ को तोहफे के तौर पर देने के लिए धार से भोपाल आए।

रायपुर में विजयी कांगे्रस के उम्मीदवार के युवा समर्थकों ने बाईक में सवार हो जय श्री राम के नारे भी लगाते हुए गये।

कहने का तात्पर्य यह है कि अब वास्तविक हिन्दुत्व पर नकली हिन्दुत्व का प्रभुत्व मतदाताओं पर धाक जमाने में सफल होते जा रहा है।

इसका कारण संभवत: यह है कि जनसंघ के जनकाल से ही भाजपा वास्तविक हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद के जिस सिद्धांत जिस मंत्र पर चलते रही है उसे अमलीजामा पहनाने का पीएम मोदी की वर्तमान सरकार को था। अभी भाजपा का उत्तरप्रदेश में भी शासन है। बावजूद इसके भाजपा सुप्रीम कोर्ट के आर्डर का ही इंतजार करती रही है। उसे चाहिये था कि बिना विलंब किये  लोकसभा में प्रस्ताव लाकर कांग्र्रेस के नकली हिन्दुत्व का पर्दाफाश करती।  परंतु यह करने में वो अभी तक असफल रही है। यदि भाजपा को एनडीए को पुन: लोकसभा के चुनावों में सफलता प्राप्त करनी है तो जो काम अभी तक नहीं कर सकी  वह उसे अब इसी शीतकालीन लोकसभा सत्र में करना चाहिये।

कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनल आज यह दुस्प्रचार कर रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार करने की वजह से भाजपा को हार का मुह देखना पड़ा है। परंतु वास्तविकता यह नहीं है।  न्यूज १८ में आज ही एक न्यूज आर्टिकल प्रकाशित हुआ है जिसके अनुसार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना की 74 सीटों पर किया था प्रचार, त्रिपुरा, गुजरात और कर्नाटक में भी मिला था बीजेपी को योगी आदित्यनाथ से ायदा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना की 74 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार किया. अभी तक आए रिजल्ट के मुताबिक, इसमें से 49 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी आगे हैं।

इन विधानसभा चुनावों के नतीजों का असर लोकसभा पर पड़ सकता है। कांग्रेस के पास कर्नाटक और पंजाब दो प्रांतों के बाद अब तीन प्रांत और हाथ में गए हैं। उनके आर्थिक स्त्रोतों का इनवेस्टमेंट कांग्रेस लोकसभा चुनावों में करेगी। कुछ छोटी क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस का दामन थाम सकती हैं।

परंतु तेलंगाना के चुनावों में अभी टीडीपी को तीन फिसदी वोट मिले हैं जबकि इसके पूर्व के चुनाव में उसे वहॉ १५ फिसदी वोट मिले थे। अतएव टीडीपी से हाथ मिलाना कांग्रेस का दक्षिण भारत मे सफाया ही होगा। यह माना जा सकता है।