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Editorial :- माल्या ने कांग्रेस की जीत पर दी बधाई!

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14 December 2018

किसान नेता अभी हैं मौन !!

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने कांग्रेस की जीत पर दी है बधाई! बधाई का संदेश किसी भी किसान ने या किसान नेता ने अभी तक नहीं भेजा है!!

सुनने में आया है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तीनों ही प्रदेशों में किसानों के कर्जमाफी करने की तैय्यारी कांगे्रस कर रही है। यह अच्छी खबर है यदि ऐसा हो जाता है।

राहुल गांधी युवा हैं। युवाओं पर उनको भरोसा रहा है। उन्होंने इसी दृष्टि से सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा चुनाव में आगे किया था। दोनों ही युवा नेता मुख्यमंत्री बनने  की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

सुनने में आया है कि युवा राहुल गांधी अब मध्यप्रदेश में वयोवृद्ध कमलनाथ और अशोक गहलोत पर निर्भर रहने वाले हैं अर्थात वे ही वास्तव में अपनेअपने प्रांतों में मुख्यमंत्री बनेंगे।  

छत्तीसगढ़ में तो जो भी मुख्यमंत्री बनेगा वह युवा तो कम से कम नहीं होगा।

कहने का तात्पर्य यह है कि कांग्रेस अब यह कहावत चरितार्थ करने जा रही है कि बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम।

कार्यकारी  शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि मुझे इंतजार है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने वादे को याद रखेंगे और 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अब हम चौकीदारी करेंगे और विपक्ष में बैठकर अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।

उनका ट्वीट है :

नई सरकार बनाने वाली पार्टी अपने वचनपत्र के मुताबिक 10 दिनों में प्रदेश किसान भाइयों का कर्ज माफ करे। उन्होंने वादा किया है कि ऐसा करने पर वे अपना मुख्यमंत्री बदल देंगे

राजस्थान और छत्तीसगढ़़ के भाजपा के नेता भी यही बात संभावित दोनों प्रांतों की कांग्रेस सरकारों के समक्ष रखने वाले हैं।

उदाहरण के लिये हम यहॉ मध्यप्रदेश की ही चर्चा कर लें।

बड़ा सवाल, खाली खजाने के साथ किसानों को कैसे कर्जमाफी का तोहफा देंगे कमलनाथ।

वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार पर 1,60,871.9 करोड़ का कर्ज है लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह वास्तविकता में 1,87,636.39 करोड़ है। मध्य प्रदेश के 41 लाख किसानों ने 56,377 करोड़ रुपये लोन लिया है। इतने लोन को माफ करने के लिए कमलनाथ को कड़ी मशक्कत करनी होगी।

भाजपा के नेता मलैया कहते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक के कड़े दिशानिर्देशों की वजह से राज्य सरकार बहुत ज्यादा लोन नहीं ले पाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन नहीं ले पाएगी।

मध्य प्रदेश में 62 लाख किसानों पर करीब 70 हजार करोड़ रुपये कर्ज।

यहॉ यह उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने कहा था कि अगर मुख्यमंत्री राज्य के किसानों का 10 दिनों के भीतर कर्जा माफ नहीं करते हैं तो हम मुख्यमंत्री बदल देंगे। शिवराज सिंह ने आगे कहा कि सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन हम 109 विधायकों के साथ प्रदेश के हित में साथ खड़े रहेंगे। वहीं, उन्होंने कहा कि अगर मुझे कहीं गड़बड़ी लगी तो पीछे खड़े हैं हम। इसी के साथ उन्होंने अपने अगले कदम के बारे में स्पष्ट करते हुए कहा कि अब 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम चुनाव लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे।

वोट प्राप्त करने के लिये यदि विधानसभा चुनाव में झूठा सब्जबाग दिखाकर सत्ता हासिल की गई है तो क्या भविष्य में २०१९ लोकसभा चुनाव में प्रकट रूप से नहीं तो गुप्त रूप से कश्मीर की आजादी, खालिस्तानी आतंकियों से समझौता   की हद तक भी क्या नहीं जा सकते हैं? पाक पीएम इमरान खान की प्रशंसा में कसीदे गढऩा और अपने देश भारत के पीएम मोदी के प्रति नीच से नीच शब्दों का प्रयोग करना किस बात का संकेत है?

>> जेएनयू में आजादी के नारे लगे और उसके तुरंत बाद किनकी पीठ थपथपाने के लिये कौनकौन नेता जेएनयू में गये थे?

>> पिछले लोकसभा चुनाव के समय हैदराबाद में    युवक कांगे्रस के कुछ बैनर इमारतो पर लटके हुए दिखाई दिये थे जिसमें कश्मीर रहित भारत का नक्शा था।

>> इसी प्रकार से उसी समय केरल में पोस्टर और बैनर मुस्लिम लीग और कांग्रेस द्वारा लगाये गये थे उस समय के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की प्रशंसा करते हुए।

संभव है इसी कारण मेघालय हाईकोर्ट में यह कहा गया हो कि भारत को इस्लामिक देश बनने से रोके मोदी सरकार।

मेघालय हाईकोर्ट में जो हुआ वह अनुचित है तो इसी प्रकार से अन्य हरकतें भी सत्ता प्राप्ति के  लिये, वोट प्राप्ति के लिये होना क्या उचित है?

पंजाब के मंत्री सिद्धू का पाकिस्तान जाकर खालिस्तानी आतंकी गोपाल चावला के साथ फोटो खिचवाना और पाक आर्मी चीफ बाजवा से गले मिलना और  पीओके के राष्ट्रपति  सरदार मसूद खान के बगले में बैठ कर हंसीठिठोले करना क्या देशहित में है?

पाक में सार्क सम्मेलन के दौरान पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के एक मंत्री की मौजूदगी को लेकर भारतीय राजनयिक शुभम सिंह ने वॉकआउट किया। भारत की नीति पीओके सरकार के मंत्रियों या अधिकारियों के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच साझा करने की नहीं रही है।

इस घटना से वोट बैंक पॉलिटिशियंस को सबक लेना चाहिये।