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टंडव रो: एक्ट्रेस ने SC पर की तीखी टिप्पणी की, पूछा- पूरी तरह से स्क्रिप्ट पढ़ी गई है तो क्या सबको गिरफ्तार किया जाएगा?

अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई सीरिज तांडव को लेकर विवाद थमता नज़र नहीं आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट से भी इस सीरिज के मेकर्स को राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे के दौरान इस श्रृंखला में भगवान शिव का विवादित तरीकों से चित्रण करने वाले वकील जीशान अय्यूब के वकील ने दलील दी कि वह सिर्फ एक वकील हैं। उनके साथ एक किरदार को निभाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया गया था। इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस एम। आर। शाह ने इस पर कहा, “आप अभिनेता हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाने वाले किरदार निभा सकते हैं।” अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के इसी बात पर तल्ख टिप्पणियाँ की.अभिनेत्री ने आज ट्विटर पर लिखा, ” जितने लोग शो में इन्वॉल्व रहते हैं वे सब स्क्रिप्ट पढ़ते हैं और फिर कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं। तो क्या सभी कास्ट और क्रू को हेस्ट करें? शो में शामिल लगभग सभी ने स्क्रिप्ट पढ़ी और अनुबंध पर हस्ताक्षर किए! चलो पूरे कलाकारों और चालक दल को गिरफ्तार करते हैं? https://t.co/xbqbQ641D7 – कोंकणा सेनशर्मा (@konkonas) 28 जनवरी, 2021 को बता दें कि ‘तांडव’ के अभिनेता मोहम्मद जीशान अय्यर, निर्देशक अली अब्बास जफर, लेखक गौरव सोलंकी, निर्माता हिमांशु मेहरा और अमेजन प्राइम ओरिजिनल्स की प्रमुख अपर्णा। पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी ओर से फली नारीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा जैसे दिग्गज वकीलों ने जिरह की। लेकिन कोर्ट को एफआईआर रद्द करने की मांग पर आश्वस्त नहीं कर सकी। सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ सबसे पहले वरिष्ठ वकील फली नारीमन ने दलीलें रखीं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीरीज के निर्माताओं ने आपत्तिजनक सामग्री के लिए माफी मांगी है। उन्हें दिखाने से हटा दिया गया है। बावजूद इसके उनके खिलाफ लगातार मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। सभी एफआईआरआर को रद्द कर देना चाहिए। कोर्ट इस फैसले पर नोटिस जारी करे और ट्रायल तक सभी लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दे। इस पर जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने कहा, “आप चाहते हैं कि एफआईआर को रद्द कर दिया जाए। लेकिन। इसके लिए आप उच्च न्यायालय में क्यों नहीं गए? ” नारीमन ने जवाब दिया, “एफआईआरआर 6 राज्यों में है। हम अलग-अलग हाई कोर्ट में नहीं हो सकते।” फल नरीमन ने यह भी कहा कि कोर्ट को यह तय करना होगा कि देश में अनुच्छेद 19 (1) (ए) यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है या नहीं? इस पर जजों ने जवाब दिया, “देश में अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार भी लोगों को मिला है। आप किसी को अपमानित नहीं कर सकते।” वरिष्ठ वकील पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार को स्वीकार किया है। हवाला दिया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट हमेशा से इसकी रक्षा के लिए आगे आता रहा है।” इस पर जजों ने कहा कि अभिव्यक्ति के अधिकार की भी सीमाएं हैं। उनका उल्लंघन कर मुकदमे से नहीं बचा जा सकता था। यह भी पढ़ें- Pics में: ऐश्वर्या से लेकर करीना तक, प्रेग्नेंसी में इन हरदिनों ने कर लिया था इतना वेट गेन कि कोई पहचान भी नहीं पाताअलीशान ने सुनी हुई शेट्टी का खंडाला स्थित घर, स्विमिंग पूल से गार्डन तक, हर लग्जरी सुविधा मौजूद है, देखें इनसाइड फोटोज योगा देखा है क्या? एक्ट्रेस आशका गोराडिया ने समंदर किनारे किया योग, देखने वालों के होश उड़ेसलमान खान को अपने पनवेल फॉर्महाउस से है खासा लगाव, यहां बिताते हैं क्वालिटी टाइम, देखें इनसाइड फोटोज।