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Editorial:- राजनेता राष्ट्र की एकता की बात करें

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19 December 2018

फूट डालो और राज करो वाली अंग्रेजों की चाल चलें

सत्ता हथियाने के लिये राष्ट्र की एकता को खंडित करने के लिये प्रयास होते रहे हैं। परंतु अब तो सत्ता हथियाने के बाद भी राष्ट्र की एकता को खंडित करने का प्रयास हो रहा है।

पंजाबी खत्री यूपी के कानपुर में जन्मे राजीव गांधी जी के साथ दून स्कूल में पढ़े और कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में स्नातक बने कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

अब इन्हीं मुख्यमंत्री ने सूबे में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिलने के लिए यूपीबिहार के लोगों को जिम्मेदार ठहरा दिया है. कमलनाथ ने कहा कि यूपीबिहार के लोगों की वजह से राज्य के स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

कमलनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार से लोग मध्य प्रदेश आते हैं. लेकिन स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है. मैंने इसी से संबंधित ाइल को मंज़ूरी दे दी है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के दो दिन के भीतर ही कमलनाथ ने बैल मुझे मार वाली कहावत को चरितार्थ करने अपने आपको विवादों  में डाल दिया है।

१९८४ के दंगें भड़काने में उनका हाथ रहा है , इस आरोप के साथ तजिंदर बग्गा ने कहा है कि जब तक कमलनाथ को सीएम पद से हटाया नहीं जाता उनका अनशन जारी रहेगा।

संभव है उक्त आरोप से ध्यान हटाने के लिये कमलनाथ जी ने संविधान के विरूद्ध आचरण किया हो।

दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि यह कमलनाथ जी ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर ऐसा किया हो।

यह संदेह इसलिये होता है क्योंकि गुजरात के  कांग्रेस के अल्पेश ठाकोर भी इसी प्रकार की देश की एकता को खंडित करने का प्रयास कर चुके हैं।

उनकी ठाकोर सेना का बिहार भगाओ अभियान इसीका प्रतीक था।

इसी प्रकार से स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष के निर्देश पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय लिंगायत समुदाय को हिन्दुओंं से अलग करने का जोखिम भी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कांगे्रस के सिद्धारमैय्या ने उठाया था।

पंजाबी खत्री यूपी के कानपुर में जन्मे राजीव गांधी जी के साथ दून स्कूल में पढ़े और कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में स्नातक बने अरबपति कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन सकते हैं और बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान में उनकी अनेक कंपनियां हैं।

मध्यप्रदेश की जनता का विश्वास अर्जित करने के लिये उन्हें कोर्ट में हलफनामा देकर यह जाहिर करना चाहिये कि उनके और उनके परिवार के स्वामित्व में जितने व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं उनमें कम से कम ७० फीसदी वहॉ के स्थानीय युवकोंं को नौकरी दी जा रही है।

विदेश में जन्मे नेता जैसे शशि थरूर यूपीए सरकार में मंत्री बने और विदेश में ही जन्में राहुल गांधी भारत के प्रधानमंत्री बनने का स्वप्र देख सकते हैं परंतु यूपी और बिहार के युवक  ूमध्यप्रदेश में नौकरी नहीं कर सकते। यह किस प्रकार का असंवैधानिक राष्ट्र की एकता को खंडित करने वाला देश विरोधी कुतर्क या षडयंत्र है?

हमारे देश के नेताओं ने अंगे्रजों की बांटो और राज करो की नीति को अपनाते हुए राज्यों को आपस में लड़ाया : महाराष्ट्रगुजरात, आंध्र प्रदेशतेलंगाना, कर्नाटकतमिलनाडु, केरलतमिलनाडु, आंध्र प्रदेशकर्नाटक, असमनॉर्थ ईस्ट प्रदेशों के बीच विवाद हुए।

इन्हीं अलगाववादी राजनेताओं ने भाषा के आधार पर लोगों को लड़ाया : कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल में हिंदी से बैर रखने वालों को बढ़ावा दिया। हिंदी पर स्थानीय भाषाओंबोलियों को तरजीह देने का अभियान चलाया।

संप्रदाय के आधार पर बांटा :कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दिया। 1984 में सिखों के खिलाफ  पूरे देश में हिंसा का माहौल बनाया यही आरोप तो कमलनाथ जी पर भी है।

जातियों को लड़ायागुजरात में पटेलगैर पटेल, राजस्थान में जाटगुर्जरराजपूत, महाराष्ट्र में मराठागैर मराठा।

हमारे राजनेताओं को चाहे वे किसी भी पार्टी के हों उन्हें चाहिये कि वे राष्ट्र की एकता की बात करें और फूट डालो और राज करो वाली अंग्रेजों की चाल चलें