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Editorial :- 2019 के युद्धभूमि में कौन किधर? 70 दिन बाद गूंजेंगे शंखनाद

21 December 2018

कुरूक्षेत्र के महाभारत में कौन किसके साथ था कौन किसके साथ नहीं किसी को पता नहीं था। युद्ध का बिगुल बजने के पूर्व कोई कौरवों के पाले में जा रहा था तो कोई पांडवों के पाले में।

यही हाल अभी २०१९ लोकसभा चुनाव घोषित होने के पूर्व अर्थात बिगुल बजने के पूर्व हो रहा है।

संभव है ७० दिन बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो जाये और उसके बाद न तो केन्द्र सरकार के पास अधिकार बचेंगे और न ही विपक्ष के पास    जहरीले तीर छोडऩे का समय रहेगा।

विपक्ष सारे जहरीले तीर अभी छोड़े जा रहा है और मोदी सरकार जनहितैषी योजना परियोजना घोषित करते जा रही है। इसके क्या परिणाम होंगे कोई नहीं जानता।

परंतु पिछले विधानसभा चुनाव में कर्जमाफी का जो खेल खेला गया और उसमेें कांग्रेस को ३ प्रांतों में जो विजय हासिल हुई उसे देखते हुए एक और केन्द्र सरकार जनहितैषी योजनाएं बना रही है तो दूसरी तरफ भाजपा शासित सरकारें भी  कर्जमाफी जैसे ही खेल खेलना प्रारंभ कर दी है।

एमपी छत्तीसगढ़ राजस्थान के बाद आसाम में भी ८ लाख किसानों का ६०० करोड़ का कर्ज कर दिया है माफ।

गुजरात की भाजपा सरकार ने छह लाख बाईस हजार उपभोक्ताओं का साढ़े छ: सौ करोड़ बिजली बिल माफ कर दिया है।

इसके उपरांत भी असम सरकार ने आज एक नई घोषणा की है जिसके अनुसार वह  सात लाख लोगों के बैंक खातों में डालेगी 2,500 रु.।

विपक्ष भी अपने ढंग से सत्ता प्राप्त करने के लिये सीढ्य़िां बनाते जा रहा है। आज के ही कुछ समाचारों के उदाहरण यहॉ प्रस्तुत हैं :

>> दिल्ली-आगरा रूट पर ट्रायल के दौरान ट्रेन-18 पर पथराव, खिड़कियों के शीशे टूटे

यहॉ यह उल्लेखनीय है कि आतंकवादियों से मुठभेड़ करते समय भारत की सेना के जवानों पर   पथरबाजी करने के लिये पाकिस्तान से फंड आ रहा है। छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं तक को   वह फंड बांटकर पत्थरबाजी के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन पत्थरबाज आतंकवादियों को फारूख अब्दुल्ला देश भक्त की संज्ञा दे रहे हैं।

>> फ ारूक अब्दुल्ला बोले- ‘अगर हम चुनाव जीते, तो जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता दिलाएंगेÓ।

यहॉ यह स्मरण रखना होगा कि पाकिस्तान के साथ सांठ-गांठ कर कोई समझौता विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी ने किया है। उसी की झलक उसी प्रमुख विपक्षी पार्टी के सहयोगी फारूख अब्दुल्ला ने आज अपने वक्तव्य में दे दी है।

>> अभिनेता नसीरुद्दीन ने बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व जिस प्रकार से आमिर खान ने वक्तव्य दिया था उसी  का अनुकरण करते हुए नसीरूद्दीन ने अपनेे बयान में किया है।

उन्होंने कहा है कि कानून को हाथ में लेने की खुली छूट मिली हुई है, एक पुलिस अफसर से ज्यादा एक गाय की मौत को अहमियत दी जा रही है। उन्होंने कहा ‘मुझे फिक्र होती है कि मेरे बच्चों की, कल को उन्हें किसी भीड़ ने घेर लिया और पूछा कि तुम हिंदू हो या मुसलमानÓ। उन्होंने आगे कहा ‘इन हालात को देखकर मुझे गुस्सा आता है, सही नजरिया रखने वाले हर इंसान को गुस्सा आना चाहिए न कि डरना चाहिए। हमारा घर है ये, हमें कौन निकाल सकता है यहां सेÓ।

>> १९६२ में और उसके पूर्व जिस प्रकार का कुचक्र कम्युनिस्ट पार्टियों ने किया था उसी का अनुकरण कांग्रेस ने करते हुए फि र किया आज सेना का अपमान, कहा- झूठ बोल रहे हैं वायुसेना प्रमुख।

अब चुनाव की घोषणा होने के पूर्व विपक्षी पार्टियां चाहे वो कांग्रेस हो या सपा बसपा इसी प्रकार से सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों को भी निरीक्षण करते रहना चाहिये कि ऊपर दर्शाये गये कुछ मुद्दे जो उछाले गये हैं वे उचित हैं या अनुचित। उनमें रद्दोबदल अर्थात भूल सुधार करने में कोई शर्म महसुस नहीं होनी चाहिये।  कई बार अनेक नेता बेतुकी बात कह डालते हैं। जब उसका विरोध होता है आलोचना होती है तो वे कहते हैं कि उनके वक्तव्य को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है। यह एक प्रकार से भूल सुधार ही है।