रायगढ़ टॉप न्यूज 1 फरवरी। रोशन भैया सरीखे राजनेता राजनीति में विरले ही मिलते हैं। आज उनके दुखद निधन के बारे में सुनकर मैं स्तब्ध हूं। कोरॉना जैसी खतरनाक महामारी को पछाड़कर वे फिर से राजनीति में सक्रिय होने की स्थिति में आ चुके थे।अचानक उनका गिरकर सर में चोट लगना और उसके बाद नि धन एक ह्रदय विदारक घटना है ।सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा कि वे अब हमारे बीच नहीं रहे। पिछले लगभग 45 वर्षों से वे राजनीति में निर्बाध रूप से सक्रिय रहे 1977 में जनता पार्टी के कार्यकाल में और उससे पहले 1975 में आपातकाल में उनकी सक्रिय राजनीतिक भूमिका प्रारंभ हुई थी जो जीवन पर्यंत चलती रहे।
वे सिर्फ न केवल जन नायक थे बल्कि जबरदस्त संगठन कर्ता भी थे। कई बार जिला भाजपा अध्यक्ष बनने के अलावा तीन बार विधानसभा चुनाव लड़े। जब प्रथम बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने रायगढ़ सीट को पहली बार जीतने के कगार पर पहुंचा दिया था। परंतु तब भी कुछ विद्रोही प्रत्याशियों और तीसरी बार भी वे जीत के काफी करीब थे परंतु विद्रोह प्रत्याशी के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा। दूसरी बार जब वह चुनाव लड़े रायगढ़ जिले में सर्वाधिक मतों से चुनाव जीतने का उन्होंने इतिहास रच दिया।
आज जब उनके ही दुखद निधन का समाचार मिला तो उनके साथ शुरुआत से ही राजनीतिक रूप से जुड़ाव होने के कारण, उनके काम करने की शैली की एक एक खूबी याद आ रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि उनकी डायरी में असंभव नाम का कोई शब्द ही नहीं था। और जब वह तन मन धन से एक चीज को ठान लेते थे तो वह कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो हवा का रुख अपने पक्ष में मोड़ देते थे। अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जिससे यह बात साबित हो जाती है। जैसे की पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर जीतने की स्थिति में पहुंच जाना, पहली बार जिला पंचायत में बहुमत से कम होने पर भी उपाध्यक्ष पद पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को पहुंचा देना, तो दो बार जिला पंचायत में अध्यक्ष पद पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को बैठा देना यह बहुमत से काफी कम होने के बाद भी केवल रोशन भैया की ही करामात थी। मुझे याद है एक जिला पंचायत क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में चुनाव स्थगित हो गया था और भाजपा के प्रत्याशी लगभग 400 मतों से पीछे थे भाजपा को जिताने के लिए उस मतदान केंद्र के लगभग शत % मतों को भाजपा के पक्ष में आना था ।और रोशन भाई ने इसकी जवाबदारी ली और इस असंभव लगने वाले कार्य को उन्होंने कर दिखाया। उनके मार्गदर्शन में जिला भारतीय जनता पार्टी ने इसी प्रकार 2003 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने खरसिया विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी को बढ़त दिखा बड़ा दिलाने का कार्य अपने जिम्मे में लिया और उसे भी अपनी सशक्त टीम के साथ मिलकर कर दिखाया जो उस समय के हिसाब से एक असंभव कार्य माना जाता था। उन्होंनेअनेक सक्षम और जुझारू लोगों की टीम तैयार की और उसी का परिणाम है कि आज रायगढ़ जिले में भारतीय जनता पार्टी मजबूत राजनीतिक विकल्प के रूप में मौजूद है।
निश्चित तौर पर उनका थोड़ा गुस्सैल मिजाज परंतु ईमानदार और सक्षम राजनीतिक सोच के चलते पूरे प्रदेश में असंख्य समर्थक वर्ग मौजूद है।आज पूरा रायगढ़ जिला शोक संतप्त है क्योंकि एक ऐसा लड़ाकू जुझारू और इमानदार राजनेता को उसने खो दिया है जिसकी भरपाई अब संभव नहीं है।
एक धुरंधर और अनूठे राजनेता का अवसान- विजय अग्रवाल किरोड़ीमल – Raigarh Top News
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