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Editorial :- संसद में झूठ और सच्चाई के बीच हंटर वार…

8 January 2019

टीडीपी के सांसद एन शिवप्रसाद संसद में अलगअलग अंदाज में आने के लिए प्रसिद्ध हैं।टीडीपी सांसद तमिलनाडु के पूर्व सीएम एमजी रामचंद्रन के वेश में पहुंचे थे। उन्होंने हाथ में हंटर भी ले रखा था.विरोध में हंटर भी घुमाने लगे।शिवप्रसाद इससे पहले जादूगर, महिला, स्कूल स्टूडेंट जैसे कई वेश में पहुंच चुके हैं।

इस दृश्य को देखने के उपरांत हमें एक दो वाकया का स्मरण हो रहा है।

साऊथ के ही कुछ ड्रामेबाज अपनी रोजीरोटी कमाने के लिये दूसरे प्रांतों में भी आकर हाथ में लिये हंटर को अपनी पीठ पर कभी अपनी छाती पर ही चलाने लग जाते हैं जिससे की दर्शक उन्हें कुछ ईनाम दे देंं।

लगता है यही दृश्य कांग्रेसाध्यक्ष और उनकी कांग्रेस भी राफेल मुद्दे को उछालकर प्रस्तुत कर रहे हैंं। परिणाम स्वरूप इसके प्रति आकर्षित होकर कांग्रेस को  जनता ने तीन विधानसभा चुनाव में ईनाम भी दे दिया है।

इससे उत्साहित होकर वे गोएबल्स के क्लोन बनकर इसी प्रकार की ड्रामेबाजी अभी भी करते जा रहे हैं। लगता है अब उनकी पोल खुलते जा रही है।

आज के दो समाचार इन तथ्यों की पुष्टी करते हैं।

मोदी सरकार द्वारा गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाना कांग्रेस को एक जुलमा क्यों नजर रहा है?

कांग्रेस इस विषय पर विरोध की राजनीति को आगे नहीं बढ़ा सकती है। इसके साथ ही सवर्ण जनमानस ये सवाल पूछेगा कि अगर 1950 से करीब करीब 1989 के शासन को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस ने 2004 ले 2014 के बीच में कुछ पुख्ता कदम उठाते नजर नहीं आई। 2007 से 2012 के बीच देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी और उनकी तरफ से सवर्ण समाज के बारे में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का बड़ा ऐलान हुआ। लेकिन केंद्र में यूपीए सरकार ने सार्थक कदम नहीं उठाया। आज जब एनडीए सरकार ने इस संबंध में फैसला किया है तो कांग्रेस सिर्फ कानूनी अड़चनों का हवाला देते हुए इस फैसले का विरोध नहीं कर सकती है।

रक्षामंत्री सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में अपने भाषण के दौरान रक्षा मंत्री ने एचएएल अनुबंध पर तथ्यों और आंकड़ों को बताते हुए आराम करने के लिए सभी संदेह व्यक्त किए।

“2019 में, एचएएल के संबंध में खरीद आदेश के बारे में, मैंने उल्लेख किया था कि 50,000 करोड़ रुपये के 83 एलसीए तेजस लड़ाकू विमान हैं, 15 लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के लिए 3,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर, 200 करोड़ रुपये के 200 ऑर्डर और 3,400 करोड़ रुपये के 19 ड्रोनियर ट्रांसपोर्टर्स हैं। , हेलिकॉप्टरों की कीमत 15,000 करोड़ रुपये और एयरोइंजनों की कीमत 8,400 करोड़ रुपये है। कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये आते हैं। ‘Ó

Ó2014-2018 के दौरान एचएएल के साथ 26800 रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे और लगभग 73,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर पाइपलाइन में हैं।Ó

83 एलसीए तेजस के लड़ाकू विमान रु। 50,000 करोड़ रु

15 लड़ाकू हेलीकॉप्टर का ऑर्डर रु। 3,000 करोड़ रु

200 कार्मो हेलीकॉप्टरों की कीमत रु। 20,000 करोड़ रु

19 डोर्नियर परिवहन विमान का मूल्य रु। 3,400 करोड़ रु

अन्य हेलीकॉप्टरों की कीमत रु। 15,000 करोड़ रु

एयरो इंजन की कीमत रु। 8.400 करोड़ रु।

इसके बाद राहुल गांधी ने एचएएल को सैलरी का मुद्दा उठा दिया। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘एचएएल के पास कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए रुपये नहीं हैं, क्या यह चौंकाने वाला नहीं है? बगैर सैलरी के एचएएल के टैलंट को एए के वेंचर में जाने पर मजबूर होना पड़ेगा।Ó वहीं सदन में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि यदि एचएएल के साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ है तो उनके पास कर्मचारियों को देने के लिए पैसा क्यों नहीं है? खडग़े ने राफेल मामले में जेपीसी की मांग दोहराई है।

क्या जेपीसी सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी है?