प्राचीन काल से ही जहां-जहां आबादी बसती गई, वहां परंपरागत ढंग से जलस्रोत के साधन के रूप में तालाबों का निर्माण किया जाता रहा है। निस्तारी और सिंचाई के साधन के रूप में आज भी तालाबों की महत्ता बरकरार है। आधुनिक दौर में जलस्रोतों के उन्नत रूप में बोरिंग और नलकूप की मौजूदगी के बावजूद तालाबों का महत्व कम नहीं हुआ है। वर्षा जल के संचय और भू-गर्भीय जलस्रोतों को रिचार्ज करने की दृष्टि से ये बेहद उपयोगी हैं।
परंपरागत जलस्रोतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक ग्राम पंचायतें सजगता से काम कर रही हैं। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से गांवों को इसमें खासी मदद मिल रही है। कोरिया जिले के सुदूर विकासखण्ड भरतपुर के कंजिया में गांव के प्राचीन तालाब का मनरेगा के तहत गहरीकरण कराया गया है। इससे जहां तालाब को पुनर्जीवन मिला, वहीं अनेक ग्रामीणों को सीधे रोजगार भी मिला। तालाब के गहरीकरण के बाद से इसमें मछली पालन भी प्रारंभ हो गया है। इससे ग्राम पंचायत को आमदनी होने के साथ ही गांव के एक आदिवासी परिवार को रोजगार का स्थायी साधन मिल गया है। मछली पालन कर यह परिवार सालाना लगभग दो लाख रूपए कमा रहा है।
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर से 168 किलोमीटर दूर कंजिया अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गांव है। वहां काफी पुराना एक तालाब है जिसे ‘बड़ा तालाब’ के नाम से जाना जाता है। गांव के दो मोहल्लों बीचपारा और डोंगरीपारा के बीच मुख्य मार्ग के किनारे स्थित यह तालाब ग्रामीणों की निस्तारी का प्रमुख साधन है। साथ ही यह उनके पशुओं के पेयजल का भी मुख्य स्रोत है। गांववाले बताते हैं कि तालाब का लंबे समय से गहरीकरण नहीं होने से पानी कम होने लगा था। गर्मियों में यह सूखने के कगार पर पहुँच जाता था। जिस साल कम बारिश होती थी उस साल तालाब पूरी तरह से सूख जाता था।
More Stories
पावर सेंटर : ‘ढिंढोरा’…’सिप्लसलर’…’अहाता’…’कौन बनेगा मंत्री’…’रोशन’…-आशीष तिवारी
राजधानी के अस्पतालों में बड़ी उथल-पुथल: ना सर्जन, ना ऑपरेशन टीम, विचारधारा के बीच पेट दर्द के मरीज की अस्पताल में सर्जरी, जिंदगी और मौत के बीच डॉक्टरी जारी
शादी का सौदागर नाबालिग से की गई डकैती, घटना को अंतिम दोस्त के साथ लिया, अब दोनों बंधकों के पीछे…