Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

भारत के बाद पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने भी माना “हिंदुओं को इमरान सरकार ने जान-बूझकर पीड़ित किया”

artcle-10-feb-2021

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति इतनी ज्यादा दयनीय हो गई है, कि अब वहां का सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे पर चिंतित हो गया है। मंदिरों को जिस तरह वहां पर तबाह किया जा रहा है और कट्टरपंथ हावी हो रहा हैं वो देश के सामाजिक ताने बाने के लिए बेहद ही ख़तरनाक स्थिति है लेकिन इमरान सरकार इस मामले में बिल्कुल ही मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही है। हाल ही में  सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी ने तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नियाजी इमरान खान की सरकार की पोल खोल दी है और कहा है कि सरकार के कार्यकाल के दौरान देश के हिंदू मंदिरों की हालत खंडहर बन गई है।

इमरान खान ने हमेशा ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दावा किया है कि  उनकी सरकार अल्पसंख्यक हिंदुओं की सभ्यता का संरक्षण करने के लिए तत्पर है और इसके लिए सकारात्मक कदम भी उठा रहीं हैं, लेकिन उनके दावों की सारी पोल उनके ही देश के सुप्रीम कोर्ट ने खोल दी है। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने इमरान सरकार को लताड़ते हुए हिंदू समाज और उनके धार्मिक स्थलों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट कहती है कि हिंदू समुदाय के अधिकांश पूजा स्थालों की स्थिति खराब है और सरकार द्वारा इन इलाकों में किया गया कार्य बेहद ही निराशाजनक है।

सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. शोहेब सुदाब की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी, जिसमें डॉ. रमेश वांकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल के रूप में तीन सहायक सदस्य शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि टेरी मंदिर (करक), कटास राज मंदिर (चकवाल), प्रह्लाद मंदिर (मुल्तान) और हिंगलाज मंदिर (लसबेला) की हालत सुधारने के लिए बड़े स्तर पर प्रयासों की आवश्यकता है। खास बात ये भी है कि पिछले वर्ष दिसंबर में खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले के टेरी गांव में कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फज्ल-उर-रहमान समूह) के सदस्यों ने एक मंदिर में आग लगा दी थी।

मंदिरों पर होने वाले इन अपराधों को लेकर देश में किसी भी तरह कि कोई खास कार्रवाई नहीं की गई और देश में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थल बर्बाद होते चले गए। कमेटी ने ITBP को आदेश देते हुए कहा कि है वो अपने दायरे में आने वाले सभी मंदिरों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

 इस मामले में देश की ITBP का कहना है कि उसके अंतर्गत केवल 13 मंदिर आते है और 65 मंदिर हिंदू समुदाय के लोगों के हाथ में ही हैं। इस मुद्दे पर खास बात ये भी निकल कर आई है कि देश के लगभग 287 मंदिरों की जमीन पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा है। पाकिस्तानी सप्रीम कोर्ट ने कमेटी की चिंताओं पर  ITBP ने कहा है कि हिंदुओं की संख्या कम होने के चलते देश में मंदिरों की हालत ऐसी है। हालांकि सप्रीम कोर्ट कमेटी के इस जवाब से कतई संतुष्ट नहीं हैं।

साफ है कि  पाकिस्तान की  मंदिरों का संरक्षण करने वाली संस्थाएं अब बस खुद की गलतियों को छिपाने और कट्टरपंथियों को संरक्षण देने के लिए कुतर्क करके अपना पल्ला झाड़ रही है, जबकि असलियत ये है कि देश में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को संरक्षण देने में पाकिस्तान सरकार पूरी तरह विफल रही है। पाकिस्तान पहले ही अपने हिंदुओं के साथ किए कुकर्मों के कारण दुनिया भर से लानत-मलामत झेलता रहा है, लेकिन अब कोर्ट के कमेटी के इन वक्तव्यों के बाद तो वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना होने वाली है।