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दिल्ली हिंसा में योगेंद्र यादव की साजिश, कांग्रेस सांसद का दावा

पंजाब के लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने योगेंद्र यादव पर जोरदार हमला बोला है, विट्टू ने लोकसभा में कहा, गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर हुई हिंसा का जिम्मेदार योगेंद्र यादव है, यही नहीं, बिट्टू ने यह भी कहा कि सरकार और किसानों के बीच योगेंद्र यादव ही आग लगा रहे हैं, नहीं तो मामला बातचीत से सुलझ सकता है. बिट्टू ने कहा कि अगर योगेंद्र यादव को पकड़ लिया जाए, तो किसानों और सरकार में आज ही बात बन सकती है, क्योंकि असली आग लगाने वाले वही हैं।

कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि नए कृषि कानून से सरकारी मंडिया खत्म हो जाएंगी। हालांकि, सरकार की ओर से वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर सहित कई सांसदों ने आपत्ति करते हुए चुनौती दी कि वह बताएं कि कानून में कहां लिखा है कि सरकारी मंडिया खत्म कर दी जाएंगी। इसके जवाब में कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकारी मंडियों पर टैक्स है, लेकिन प्राइवेट मंडियों पर टैक्स लगाया जाएगा, इसलिए मंडियां खत्म हो जाएंगी

बिट्टू ने आम आदमी पार्टी के सासंद भगवंत मान और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी राजनीति करने का आरोप लगाया। पिछले दिनों बिट्टू जब सिंघु बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में पहुंचे थे तो उनके धक्का-मुक्की की गई थी। इसके बाद भी उन्होंने योगेंद्र यादव और अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा था। बिट्टू यह भी आरोप लगा चुके हैं कि किसानों के आंदोलन के पीछे खालिस्तान समर्थकों का भी हाथ है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से आंदोलनजीवी शब्द का इजाद किया है तब से  योगेंद्र यादव   सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद योगेंद्र यादव ने एक फेसबुक लाइव में कहा कि हां, मैं आंदोलनजीवी हूं। इस पर एक यूट्यूब चैनल के साथ इंटरव्यू में जाने-माने इतिहासकार प्रोफेसर कपिल कुमार ने कहा कि मोदी जी ने उनको आंदोलनजीवी बोल दिया जबकि असलियत में वो आतंकीजीवी हैं। उन्होंने कहा कि ये ऐसी गिरगिट है, जो कई जीवियों के रंग बदलें हैं।

पहले ये पॉलिटिकल एनालिस्ट बनकर आये, कइयों को ब्लैकमेल किया। फिर अन्ना हजारे वाले आंदोलन में चला गया। अरविंद केजरीवाल के साथ गया, वहां लात पड़ी तो चुनावजीवी बन गया। नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा, लेकिन 4-6 हजार से ज्यादा वोट नहीं मिल सके। इसके बाद ये आतंकीजीवी बन गया। जहां भी आतंकी, देशविरोधी गतिविधि होती है वहां पहुंच जाता है। जेएनयू गया, शाहीन बाग गया अब किसानों के बीच गया है। इसे खेती-किसानी के बारे में कुछ नहीं पता है। 

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