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Editorial :- वंशवादी सत्तान्मुख अलगाववादी अवसरवादी राजनीति देश की एकता में बाधक

9 February 2019

स्वतंत्रता के पूर्व भारत में अनेक प्रकार के वंशवादी रजवाड़े थे। अब स्वतंत्रता के बाद भी ये ही वंशवादी रजवाड़े परिवारवादी पार्टियों के रूप में प्रजातंत्र का लदाबा ओढ़े जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैंं।

हिटलर के प्रचारमंत्री गोएबल्स का अनुकरण कर राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोये हुए हैं।

पंडित नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक भी सत्तान्मुख, अवसरवादी वोट बैंक पॉलिटिक्स करते रहे हैं।

पंडित नेहरू ने स्वयं ही कहा था कि वे घटनावश हिन्दू हैं, संस्कृति से मुस्लिम हैँ और शिक्षा से अंग्रेज।

इंदिरा गांधी भी उसी रास्ते पर चलने के कारण भले ही फिरोज खान से विवाह की हों परंतु वे अपने पति के साथ रहकर अपने पिता के साथ ही रहती थी। क्या कारण रहे थे इसके?

राजीव गांधी भी सत्ता प्राप्ति के लिये कभी हिन्दुओं को रिझाने की कोशिश की तो कभी मुस्लिमों को।

हिन्दुओं के वोट प्राप्त करने के लिये राजीव गांधी ने राम लला के दरवाजे पर लगे ताले को खुलवाया। वही दुसरी ओर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिये शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था  जिसकी वजह से मुस्लिम समाज की सभी महिलाओं को राहत मिलती, और अब 32 साल बाद उनके बेटे राहुल गांधी ऐसा कदम उठाने की बात कर रहे हैं जो कि मुस्लिम महिलाओं को उनको अधिकारों से वंचित करेगी

राहुल गांधी अपने पूवर्जों को अनुसरण करते हुए उसी प्रकार की सत्तान्मुख अलगाववादी अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं।

फिरोज खान के पौत्र राहुल गांधी हिन्दु हैं या मुस्लिम? जिस प्रकार से संविधान में धर्म निरपेक्ष शब्द का समावेश तो संशोधन करके कांग्रेस ने कर दिया परंतु उसकी परिभाषा का उल्लेख नहीं किया गया। इससे अपनी सुविधानुसार राजनीतिज्ञ धर्मनिरपेक्षता अर्थात सेक्युलर शब्द का उपयोग, दुरपयोग करते रहते हैं।

उसी प्रकार से नेहरू गांधी परिवार और यहॉ तक वाड्रा परिवार भी क्या अपने धर्म की सुविधानुसार घोषणा करते रहते हैें?

सोनिया गांधी के निर्देश पर निर्देश पर क्रिस्चियन अंबिका सोनी ने यूपीए शासनकाल के मंत्री के नाते सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि राम मिथक हैं, काल्पनिक हैं उनका कोई अस्तित्व नहीं।

अब सत्ता प्राप्ति के लिये एक ओर वे जनेऊधारी ब्राम्हण का सत्ता का हरण करने के उद्देश्य से उसी प्रकार से रूप धर लिये हैं जिस प्रकार से रावण ने  साधु का वेश धारण कर सीता का हरण किया था।

इस सत्यता को छिपाने के लिये अब कांग्रेस ने   हिटलर के प्रचारमंंत्री गोएबल्स का अनुकरण करते हुए जनता के आंखों में धूल झोंकने के उद़देश्य से भोपाल में राहुल गांधी को पोस्टर में भगवान राम की तरह और पीएम मोदी को रावण की तरह दर्शाया गया है।

गुजरात विधानसभा चुनाव के समय से ही एक तरफ राहुल गांधी अपने आपको सॉफ्ट हिन्दुत्व का प्रतीक बता रहे हैं और दूसरी ओर वे अपने शशि थरूर जैसे अन्य नेताओं को हिन्दु विरोधी वक्तव्य दिलवाकर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर चल रहे हैं। राहुल गांधी की पाक परस्त राजनीति भी मुस्लिमों के वोट प्राप्त करने के उद़्देश्य से है।

क्या २०१९ का चुनाव वंशवादी सत्तान्मुख अलगाववादी अवसरवादी राजनीति अपनाकर जीता जा सकता है? क्या वंशवादी सत्तान्मुख अलगाववादी अवसरवादी राजनीति देश के लिये घातक नही है।