Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial :- क्या प्रधानमंत्री को गाली देना ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और महागठबंधन का धर्म है?

Default Featured Image

12 February 2019सोनिया गांधी जी ने उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी जी को मौत का सौदागर कहा था। उसका दुस्परिणाम कांग्रेस को भुगतना पड़ा था।

उक्त सिलसिला अभी भी थमा नहीं है। राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेता प्रधानमंत्री को गाली देना ही बैकफुट पर नहीं, फ्रंटफुट पर खेलना समझ रहे हैं। वे संभवत: केजरीवाल जी की नकल कर रहे हैं। दु: इस बात का है कि इसी रास्ते पर तथाकथित महागठबंधन के अन्य नेता भी उसी रास्ते पर जानेअंजाने में चल रहे हैं।

गुजरात विधानसभा चुनाव के समय गांधी परिवार के भक्त कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने   प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा थामुझे ये आदमी बहुत नीच किस्म का लगता है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है।Ó

उस वक्त भी कांग्रेस को अपने नेता मणिशंकर अय्यर का यह बयान काफी भारी पड़ गया था. यह वही मणिशंकर अय्यर हैं जिन्होंने पांच साल पहले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी को कांग्रेस अधिवेशन के सामने चाय का स्टॉल लगाने की सलाह दी थी, जिस पर मोदी के पलटवार ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया था.लेकिन, लगता है कांग्रेस अपनी गलतियों से सबक नहीं ले रही है।

अय्यर ने ही 2014 मेंचायवालाÓ विवाद शुरू किया था

– 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान अय्यर ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने पीएम कैंडिडेट को चायवाला बताकर मजाक उड़ाया था। उन्होंने कहा था, “21वीं सदी में नरेंद्र मोदी कभी भी देश के प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे। यहां आकर चाय बांटना चाहें तो हम उनके लिए जगह दे सकते हैं।ÓÓ- अय्यर के इस बयान के बाद बीजेपी के इलेक्शन कैम्पेन की दिशा बदल गई थी।

अब केजरीवाल, फारूख अब्दुल्ला और राहुल गांधी की उपस्थिति में चंद्रबाबू नायडू के धरना स्थल पर लिखा है  ‘जिसके हाथ में चाय का झूठा कप देना था, उसके हाथ में जनता ने देश दे दियाÓ

उक्त कथन के पोस्टर धार्मिक प्रतीकपर उसी प्रकार से लगे हैं जिस प्रकार से नॉट इन माई नेम   आंदोलन के पोस्टर लंदन की गांधी जी की मूर्ति पर लगाये गये थे।

राहुल गांधी स्वयं अब केजरीवाल ही नहीं बल्कि मणिशंकर अय्यर के रास्ते पर चल पड़े हैं।

एक ओर जहॉ कांग्रेस नेता खडग़े लोकसभा में यह कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयंं भ्रष्ट नहीं हैं परंतु उन्होंने अनिल अंबानी को लाभ पहुचाया है। वहीं दूसरी ओर अब पीएमओ के बहाने वे प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत हमला कर रहे हैं, चौकीदार चोर है के नारे लगवा रहे हैं छपवा रहे हैं।

क्या वे टुकड़ेटुकड़े गैंग द्वारा जो आजादी के नारे लगाये गये थे उसका समर्थन करके और चौकीदार चोर है के नारे लगवाकर और मोदी पर चाय वाला जातिवादी अटैक कर वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को परिभाषित कर रहे हैं? क्या उनका ऐसा करना देशहित में है?

कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों को इस पर विचार करना चाहिये।