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देशद्रोह कानून को खत्म करने का संकेत कांग्रेस के घोषणापत्र में अनुचित

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15 March 2019

कपिल सिब्बल द्वारा कुछ समय पूर्व देशद्रोह कानून को खत्म करने का आव्हान किया गया था। आज असम के पूर्व कांग्रेस के मुख्यमंत्री गोगोई ने भी इसका इशारा किया है। रिपब्लिक टीवी में भी इस संबंधित खबर को प्रसारित किया है।  

इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस 2019 का लोकसभा चुनाव जिन पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है अर्थात टुकड़े टुकड़े गैंग को पोस्टर बॉय बनाकर लडऩा चाहती है।     अलगाववाद को हवा देने हेतु ममता बैनर्जी के रमजान पर चुनाव क्यों की तर्ज पर राहुल गांधी के इशारे पर तमिलनाडु बिशप काउंसिल ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है और मतदान की तारीखों को बदलने की मांग की है।  

जिस प्रकार से नवजोत सिंह सिद्धू ने 13 अक्टूबर 2018 को कहा था दक्षिण भारत से बेहतर है पाकिस्तान। अब आज तामिलनाडू में राहुल गांधी ने तुलना करते हुए कहा कि उत्तर भारत की तुलना मेें दक्षिण भारत में महिलाओं के साथ बेहतर व्यवहार किया जाता है।   

हार्दिक पटेल पर देशद्रेाह का मुकदमा चल रहा है। उन्हें अब कांग्रेस जाम नगर से अपना प्रत्याशी बनाने जा रही है।

कोई आश्चर्य नहीं कांग्रेस या अन्य विपक्षी पार्टी कन्हैय्या कुमार, उमर खालिद आदि उन नेताओं को प्रत्याशी बनाए जिन पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है।

दिल्ली पुलिस १२०० पृष्ठ की चार्जशीट दो माह पूर्व दिल्ली के पटियाला कोर्ट में दाखिल कर चुकी है। कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को निदे्रश दे रखा है कि वह इस पर अपनी अनुमति दे या उसे खारिज करे।

केजरीवाल सरकार ने अभी तक उसको रद्दी की टोकरी में डाला हुआ है। इस पर कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि उस पर सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया तो कोर्ट स्वमेव उस पर सुनवाई प्रारंभ कर सकती है।

२०१६ में जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी करने वालों के समर्थन में राहुल गांधी और केजरीवाल अन्य वामपंथी दलों को साथ पहुंचे थे। उसी कदम को आगे बढ़ाते हुए अब कांग्रेस चाहती है कि जिन पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है उनके आधार पर २०१९ का लोकसभा चुनाव लड़े।

इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये कांग्रेस अपने घोषणाा पत्र में देशद्रोह का कानून समाप्त करने का प्रावधान करने वाली है। अर्थात अब टुकड़ेटुकड़े गैंग को विस्तार दिया जायेगा।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अब कोई भी भारत के राष्ट्रध्वज को अपमानित कर सकता है। आतंकवादियों, अलगाववादियेां की गतिविधियों को उचित ठहरा सकता है अर्थात हम यह करें वह करें हमारी मर्जी।  

यही कारण है कि सर्जिकल स्ट्राईक पर प्रश्र उठाये गये। सेना का मनोबल गिराने के लिये एयर स्ट्राईक पर भी प्रश्र चिन्ह लगाया गया।

जिस प्रकार से राष्ट्रभाषा के नाम पर उत्तरभारत के विरूद्ध दक्षिण भारत में अलगाववाद का जहर फैलाया गया था उसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहती है कांग्रेस अलगाववाद को हवा देकर।

यह सब मोदी हटाओ अभियान के अंतर्गत है। उन्हेें भाजपा जीते या हारे इससे कोई मतलब नहीं है कौन प्रधानमंत्री बने इससे भी कोई मतलब नहीं है। इसीलिये ३० वर्षों तक जो नहीं हुआ वह अब वंशवादी विपक्षी पार्टियां करने जा रही हैं।

पिछले ३० वर्षों में ऐसा अवसर नहीं आया जब प्रधानमंत्री प्रत्याशी हो तब उसके विरूद्ध कोई प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार रहा हो।

स्पष्ट है राहुल गांधी तथा प्रधानमंत्री का दिवास्वप्र देखने वाले अन्य वंशवादी पार्टियों के नेता पाकिस्तान और चीन तक की सहायता लेने को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से तत्पर हैं।  स्पष्ट है  अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये अलगाववाद, जातिवाद का जहर फैलाकर गृहयुद्ध की स्थिति भी पैदा कर सकते हैं।

रावण से प्रियंका वाड्रा का मिलना भी इसका द्योतक है।

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