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Editorial :-कश्मीर में अलग पीएम की हसरत लिये अब्दुल्ला व टुकड़े-टुकड़े गैंग से कांग्रेस का गठजोड़

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2 April 2019

जम्मू कश्मीर का अलग प्रधानमंत्री बनाने की बात कहते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि एक समय हमने अपना अलग वजीरआजम और सदररियासत रखा था जिसे वापस लाया जाएगा।

उमर अब्दुल्ला के इस बयान को जहॉ एक ओर  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लपक लिया है वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे राहुल, ममता, माया, देवगौड़ा, पवार….. उछल कर बोले अब्दुल्ला जी तुम्हारे मुह में घी शक्कर। उमर अब्दुल्ला के इस बयान से इन सभी की मुरादे पूरी हो गई हैं।

कैसे पूरी हो गई है यही इस संपादकीय की विषय वस्तु है।

अमित शाह ने शुक्रवार को  कहा था, ‘Óमैं आपको बताता हूं कि अगर विपक्ष सत्ता में आया तो प्रधानमंत्री कौन होगा। सोमवार को अखिलेश यादव प्रधानमंत्री होंगे, मंगलवार को मायावती होंगी।

शाह ने कहा, ‘Óबुधवार चंद्रबाबू नायडू के लिए होगा और बृहस्पतिवार देवगौड़ा के लिए। ममता बनर्जी शुक्रवार को प्रधानमंत्री होंगी। शनिवार को द्रमुक नेता एम के स्टालिन होंगे। उन्होंने कि रविवार को अवकाश होने के कारण कोई प्रधानमंत्री नहीं होगा।

अमित शाह के उक्त ऑफर से भी अधिक लुभावना आकर्षक सुविधाजनक लॉलीपाप पकड़ा दिया है ऊमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री का ख्वाब देखने वाले  कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को।

>> इस संदर्भ में सर्वप्रथम मैं कांगे्रस के शासनकाल में सिद्धारमैय्या के द्वारा कर्नाटक के लिये अलग झण्डे का प्रारूप प्रस्तुत किये जाने का स्मरण दिलाता हूं।

कर्नाटक के अलावा शेष भारत में किसी भी प्रांत में कांगे्रस जीत सके तो कम से कम कर्नाटक का प्रधानमंंत्री तो राहुल गांधी को बनाया ही जा सकता है इसी कड़ी में यह प्रयास सिद्धारमैय्या का था।

इसी उद्देश्य से राष्ट्र की एकता की परिचायक हिन्दी का भी विरोध को वहॉ कांग्रेस शासनकाल में दी गई थी।

>> जेएनयू में अफजल गुरू के शहीदी दिवस पर कन्है्य्या कुमार ऊमर खालिद आदि की उपस्थिति में आजादी के नारे लगे थे: कश्मीर मांगे आजादी, केरल मांगे आजादी, बस्तर मांगे आजादी……..

>> जिस दिन ये आजादी के नारे लगे उसके तुरंत बाद बिना एक दिन भी विलंब किये राहुल गांधी उन जेएनयू के टुकड़ेटुकड़े गैंग की पीठ थपथपाने के लिये कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी जेएनूय पहुंच गये थे केजरीवाल और वामपंथी नेताओं के साथ। ये आजादी के नारे इन नेताओं के लिये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के परिचायक थे।

>>  असम विधानसभा चुनाव के समय राहुल गांधी ने उनकी कांगे्रस ने कन्है्य्या कुमार को पोस्टर बॉय बनाकर गुवाहाटी तथा अन्य स्थानों पर पोस्टर चिपकाये गये थे। कन्हैय्या कुमार कांग्रेस और राहुल गांधी के लिये एक युवा आईकॉन था।

>> कन्हैय्या कुमार ऊमर खालिद आदि टुकड़ेटुकड़े गैंग पर दिल्ली पुलिस ने देशद्रोह का मुकदमा दायर कर पटियाला कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। कोर्ट के मांगे जाने पर भी केजरीवाल की आप सरकार द्वारा मुकदमा चलाये जाने के  बारे में हां या नहीं में कोई भी जवाब प्रस्तुत नहीं किया।  स्पष्ट है वे नहीं चाहते कि उन पर देशद्रोह का मुकदमा चले।

>> हिन्दू आतंकवाद शब्दों का अविष्कार कर गांधी परिवार के इशारे पर चलने वाली यूपीए सरकार ने अर्थात कांग्रेस सरकार ने जो पाप किया था उससे छुटकारा पाने के लिये राहुल गांधी ने मुस्लिम बाहुल्य दक्षिण भारत की केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे का निश्चय किया।

जात पात ,संप्रदाय के आधार पर बांटने का कार्य कांगे्रस करते रही है। मोदी सरकार के आने के बाद से उनका यह प्रयास विफल हो रहा है।

स्वतंत्रता के बाद से ५० वर्षों से भी अधिक वर्षों तक कांग्रेस सत्ता में रही है। यदि दो प्रधानमंत्रियों अटल जी और मोदी जी को छोड़ दें तो अन्य गैर कांग्रेसी जो प्रधानमंत्री बने वे भी कांग्रेस के ही गोत्र के थे।

जिस प्रकार से मछली बिना पानी नहीं रह सकती  उसी प्रकार कांग्रेस अर्थात गांधी परिवार भी बिना सत्ता के  नहीं रह सकता।

इसी प्रकार से कांग्रेस के गोत्र के विपक्षी पार्टियो के नेता भी बिना सत्ता के नहीं रह सकते।

वे सभी प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखते रहे हैँ अब ऊमर अब्दुल्ला के बयान के बाद उन्हें अर्थात टुकड़ेटुकड़े गैंग को एक सहज फार्मूला सूझ गया है।

मायाअखिलेश बारीबारी उत्तरप्रदेश के, ममता बंगाल की, शरद पवार मराठावाड़ के, राहुल गांधी कर्नाटक या केरल के…… इसी प्रकार से कोई बुंदेलखंड का तो कोई तामिलनाडू के किसी टुकड़े का तो कोई पंजाब का पीएम बनना चाहता है। यह लाईन जितनी लंबी होगी उतनी ही भारत के टुकड़ेटुकड़े गंैग किये जा सकते हैं >>  कश्मीर में अलग पीएम की हसरत लिये अब्दुल्ला टुकड़ेटुकड़े गैंग से कांग्रेस का गठजोड़।