वाराणसी में महाशिवरात्रि संगीत महोत्सव की तीसरी निशा कैलाश के नाम रही। सूफी गायक कैलाश खेर की आवाज का जादू श्रोताओं के सिर चढ़कर बोला। मां गंगा के किनारे कैलाश ने सूफियाना गीतों की प्रस्तुति से श्रोताओं को संगीत के सम्मोहन में देर रात तक बांधे रखा।
शनिवार की शाम को राजघाट पर कैलाश खेर जब मंच पर पहुंचे तो काशी की जनता ने हर-हर महादेव के साथ उनका स्वागत किया। कैलाश ने जोगी मेरा रंग रंगीला…से शुरुआत की तो भीड़ भी बेकाबू हो उठी। मुक्ताकाशीय मंच की सीढ़ियों पर तिल रखने की जगह नहीं थी। अपने पसंदीदा गायक को सुनने के लिए लोग अगल-बगल के घाटों पर भी जमे रहे।
कैलाश ने जब मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया…की धुन छेड़ी तो जनता ने भी सुर से सुर मिलाया। इसके बाद कैसे बताए क्यों तुझको चाहूं…, तौबा-तौबा वे तेरी सूरत…, तेरे बिन नहीं लगता दिल मेरा ढोलना…, पिया केरंग-रंग दीनी ओढऩी…, टूटा-टूटा एक परिंदा…सानू एक पल चैन ना आवे..,जय-जयकारा…, तेरी दीवानी…की प्रस्तुति दी।
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