शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काफी प्रयास करने होते हैं, दो चार दिनों में रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं बढ़ाई जा सकती। इसके लिए कम से कम 10 दिन अपने शरीर को खानपान, रहन-सहन, मौसम के अनुरुप ढालना होगा।
आयुर्वेद कॉलेज बिलासपुर के डॉ. सचिन कुमार बघेल का कहना है कि आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी शारीरिक एवं मानसिक बल तीन तरह के होते हैं। पहला सहज बल अर्थात जन्म से ही होता है, यह परिवार, परिस्थिति, विशेष जाति, प्रदेश की ऋतुओं पर निर्भर करता है। कई लोगों की इम्यूनिटी पैदा होते ही मजबूत होती है।
दूसरा कालज बल अर्थात उम्र के अनुसार इम्युनिटी बढ़ती है। बाल पन में ज्यादा, युवा पन में थोड़ा कम और वृद्धावस्था में बहुत ही कम इम्युनिटी होती है। शीत ऋतु में सबसे अच्छी होती है। तीसरा युक्तिकृत बल अर्थात खानपान, रहन-सहन पर इम्युनिटी निर्भर होती है।
यदि हम अच्छा आहार ग्रहण करेंगे, अच्छे से रहेंगे तो रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी। इसके लिए फल, पत्तेदार सब्जियां, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करें। तीखा, मिर्च मसाला न खाएं। यदि चार-पांच रोटी में पेट भरता है तो तीन ही खाएं। दो चम्मच चावल की जगह एक चम्मच खाएं। प्राणायाम करें।
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