22 JULY 2021
सहकारिता के मायने बदल देने वाले राजनेताओं के काले चिट्ठे सहकारिता मंत्रालय के गठन के तुरंत बाद से उजागर होने लगे हैं। अभी तो गृह मंत्री अमित शाह ने इस मंत्रालय का मोर्चा पूरी तरह संभाला भी नहीं है, तब ये हाल है। राजनीति में मुलाकातें और शिष्टाचार भेंट यूं ही नहीं होती, एक गहरा राज़ परदे के पीछे होता है। हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार पीएम मोदी से दिल्ली मिलने पहुंचे थे वो भी अपने निजी हित के लिए। मामला महाराष्ट्र के ही “सहकारिता घोटाले” से जुड़ा है, जिसमें शरद और अजित पवार आरोपित हैं। उसी मामले में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद उन्हें अपने ऊपर कार्रवाई का डर सता रहा है, इसीलिए पवार पीएम मोदी से मिलने पहुंचे थे। अभी नया पेंच केरल में 100 करोड़ के सहकारिता घोटाला सामने आया है, जो केरल की वाम-मार्क्सवादी सरकार की शह के तहत हुआ है।
पिछले साल केरल में जुलाई माह में हुए सोना तस्करी घोटाले के मुद्दे ने खूब तूल पकड़ा था। विदेश से आए 30 किलो सोने ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया था जिसमें मुख्यमंत्री पी विजयन के खास मुख्यमंत्री कायार्लय के एक शीर्ष अधिकारी ने कथित रूप से हवाई अड्डे पर यूएई के वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी की मदद करने की कोशिश की थी। यह सोना तस्करी मामला अभी खत्म नहीं हुआ था कि नया सहकारिता घोटाला सामने आ गया है और इस घोटाले के सेनापति स्वयं सीएम विजयन हैं।
यहां इरिंजालकुडा में सत्तारूढ़ माकपा के नियंत्रण वाले कारावन्नूर सहकारी बैंक में कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये की सहकारिता घोटाला का मामला सामने आया है। पुलिस ने बैंक के सचिव समेत 6 बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सहकारिता विभाग के संयुक्त रजिस्ट्रार ने सीपीएम शासित बैंक की प्रशासनिक समिति से स्पष्टीकरण मांगा है जिससे अब सरकार की घिग्घी बंध चुकी है।
दरअसल, हाल ही में बैंक द्वारा 94 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किये जाने के बाद यह धोखाधड़ी सामने आया और यह पाया गया कि उस राशि में से 21 करोड़ रुपये किरण नाम के एक व्यक्ति को दिए गए, लेकिन 46 अलग-अलग खातों के माध्यम से दिए गए।
कई लोगों द्वारा बैंक के कामकाज के बारे में संदेह करने के बाद, बैंक में एक ऑडिट किया गया और आरोप सही पाए गए। यह भी पाया गया कि स्थानीय ग्राहकों द्वारा उनकी जानकारी के बिना गिरवी रखी गई संपत्ति पर ऋण स्वीकृत किए गए थे और ऋण राशि को कई बार चयनित खातों में जमा किया गया था। इसके बाद तो केरल सरकार दांत पीसती नज़र आ रही है, क्योंकि आरोपों में साफ़ साफ़ सरकार का हस्तक्षेप और दखल अंदाजी के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
बैंक सचिव टी आर सुनील कुमार सीपीएम के एक स्थानीय नेता हैं, जबकि समिति में पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले अन्य सदस्य हैं। कांग्रेस और बीजेपी ने मामले की जांच की मांग की है। भाजपा जिलाध्यक्ष के.के अनीशकुमार ने आरोप लगाया कि विभिन्न खातों के माध्यम से 300 करोड़ रुपये ऋण के रूप में वितरित किए गए।
यह भी पढ़ें- केरल पुलिस ने त्रिशूर बैंक लोन धोखाधड़ी मामले की जांच शुरू की
आरोप लगने के बाद फौरी तौर पर बैंक ने सचिव टीआर सुनील कुमार, प्रबंधक बीजू एम करीम और लेखाकार को निलंबित कर दिया। इसके अलावा कमीशन एजेंट किरण, सुपर मार्केट का लेखाकार रेजी और गद्दे और फर्नीचर जैसे उत्पादों का डीलर बिजॉय के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। शिकायत के मुताबिक धोखाधड़ी कई स्तरों पर हुई है, रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि जिन ग्राहकों ने छोटे ऋणों के लिए आवेदन किया था, उन पर बाद में करोड़ों रुपये का ऋण बोझ पाया गया।
कुछ कर्मचारियों ने मौजूदा कानूनों द्वारा अनुमत से अधिक ऋण राशि का लाभ उठाया है। स्टाफ के सदस्यों में से एक ने लगभग 25 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, जब कानून कहता है कि स्टाफ सदस्य केवल आवास ऋण और कर्मचारी ओवरड्राफ्ट के रूप में 50 लाख रुपये से कम ऋण का लाभ उठा सकते हैं।
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