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सत्य, अहिंसा और सादगी के बल पर महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने में जो योगदान किया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। नरमदल के नायक के रूप में जहां एक ओर उनकी अलग पहचान थी तो दूसरी गरम दल के क्रांतिकारी नेताओं में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की छवि ऐसी बनी की युवा उनकी ओर खिंचे चले आए। 26 दिसंबर से 30 दिसंबर 1916 के बीच लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में क्रांतिकारी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक महात्मा गांधी के साथ लखनऊ आए थे। लालबाग में उनकी प्रतिमा स्थापित है।
काकोरी कांड के क्रांतिकारी व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामकृष्ण खत्री के पुत्र उदय खत्री ने बताया कि 26 दिसंबर से 30 दिसंबर 1916 तक लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में वह शामिल हुए थे। स्वतंत्रा संग्राम की आंधी चल रही थी। नरम और गरम दल के बीच अंदरूनी मनमुटाव धधक रहा था, इसी बीच क्रांतिकारी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का यहां आना अंदर की ज्वाला को बाहर निकालने जैसा साबित हुआ। महात्मा गांधी के साथ कार से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को ले जाने की तैयारी चल रही थी तो युवा क्रांतिकारी व गरम दल के पैरोकार राम प्रसाद बिस्मिल ने युवाओं के साथ मिलकर कार पंचर कर दी और उनको ले जाने के लिए अलग से बग्घी का इंतजाम किया।
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