उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के बाद अब बुंदेलखंड के बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर और जालौन में बाढ़ ने तबाही मचाई है। यमुना, बेतवा, चंबल, केन, मंदाकिनी, बरदहा समेत कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। इसकी वजह से उनका मुख्यालयों से संपर्क टूट गया है। इस बीच मदद के लिए सेना को बुलाना पड़ा है। अब तक 4 हजार से अधिक लोगों को राहत शिविर में पहुंचाया गया।
जालौन के बीहड़ इलाके में फंसे सैंकड़ों लोगों को एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। बांदा के चिल्ला यमुना पुल पर बांदा-कानपुर स्टेट हाइवे पर करीब 5 फुट पानी भर गया है। इससे आवागमन पूरी तरह से ठप हो चुका है। चित्रकूट में यमुना मंदाकिनी और बरदहा की बाढ़ से हजारों ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सेना के लोगों ने बीहड़ के गांवों में फंसे करीब 300 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। हमीरपुर में यमुना और बेतवा की बाढ़ से 53 गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। हमीरपुर शहर में लघु सिंचाई विभाग का दफ्तर और कई स्कूलों में पानी भर गया है। प्रशासन के राहत शिविरों में भी 4 हजार से अधिक लोगों को शरण दी गई है। राहत सामग्री और अन्य सरकारी मदद न मिलने से बाढ़ पीड़ितों ने सोमवार को हंगामा किया।
बनारस में गलियों- कॉलोनियों में चलीं नावें
वाराणसी में गंगा का जलस्तर रविवार रात 2 बजे खतरे के निशान को पार कर गया। सोमवार सुबह जलस्तर 71.37 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से 11 सेंटीमीटर ऊपर था। तटवर्ती कॉलोनियों और निचले इलाकों में दहशत का माहौल है। गंगा और सहायक नदी वरुणा की बाढ़ की वजह से शहर के कई मोहल्लों-गलियों में नाव चलना शुरू हो गई हैं।
दशाश्वमेध घाट पर ऊपरी हिस्से में बनी जल पुलिस चौकी डूब चुकी है तो शीतला घाट, अस्सी व मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चल रही हैं। अस्सी चौराहे पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर घाट और नगवां के तरफ से आने वाले रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। उधर, बीएचयू जाने वाले मुख्य मार्ग पर भी बाढ़ का पानी आने को है।
प्रयागराज में लोगों के घरों में घुसा पानी
सामनेघाट की एक दर्जन कॉलोनियों में घुटने से ऊपर पानी भरने से लोगों को घरों से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह की दिक्कतें बढ़ गई हैं। वरुणा किनारे के इलाके में ज्यादातर बुनकर परिवारों के रहने से उनकी रोजी-रोटी पर संकट है। गंगा व वरुणा में बाढ़ के कारण दर्जनों गांव में सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है।
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