दिन का तापमान सामान्य से नीचे पहुंच चुका है, ठंड बढ़ती जा रही है। परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थी अभी भी बिना स्वेटर और जूते-मोजे के विद्यालय पढ़ने पहुंच रहे हैं। अधिकतर विद्यार्थी चप्पल पहन रहे हैं। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत स्वेटर, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे व स्कूल बैग की निर्धारित धनराशि (1100 रुपये) महज 74 हजार विद्यार्थियों के अभिभावकों के बैंक खाते में पहुंची है। जबकि 2.60 लाख विद्यार्थियों का पंजीकरण है। अप्रैल से ही शैक्षणिक सत्र संचालित हो रहा है। अभी तक परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, स्कूल बैग के साथ स्वेटर उपलब्ध नहीं हो पाए है। स्कूलों में विद्यार्थी रंग-बिरंगे कपड़ों में पहुंच रहे हैं। अधिकतर विद्यार्थी स्वेटर नहीं पहन रहे हैं। चप्पल पहनकर विद्यालय पहुंच रहे हैं। शिक्षकों को डर है कि विद्यार्थी बीमार न पड़ें। अधिकतर विद्यार्थी गरीब परिवारों से हैं, इसलिए उन पर दबाव नहीं बनाया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि अभिभावकों के खाते में धनराशि पहुंचने के बाद ही जोर दिया सकता है।
आगरा जिले में 18 हजार अभिभावकों के खाते वर्तमान में सक्रिय नहीं हैं। इनमें गत छह माह से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। शिक्षक ऐसे अभिभावकों से संपर्क करके बैंक खातों को सक्रिय कराने के लिए कह रहे हैं।
आगरा जिले में करीब पांच हजार विद्यार्थियों का डाटा संदिग्ध है। इनके नाम दो-दो विद्यालयों में हैं। खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से डाटा का सत्यापन कराया जा रहा है। बीएसए के मुताबिक कुछ फीडिंग में गलती हुई है और कुछ विद्यार्थियों का पंजीकरण वास्तव में दो-दो विद्यालयों में है।
डीबीटी योजना के तहत विद्यालय में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों का पंजीकरण कराया जा चुका है। अभी तक पोर्टल पर किसी भी अभिभावक के खाते में धनराशि पहुंचने की जानकारी नहीं है। इसलिए विद्यार्थियों को जूते-मोजे और निर्धारित स्वेटर पहनकर आने पर जोर नहीं दिया जा रहा है। अधिकतर विद्यार्थी गत सत्र की यूनिफॉर्म व स्वेटर पहनकर आ रहे हैं। – राजीव वर्मा, प्रधानाध्यापक, बेसिक विद्यालय, बुढ़ान सैयद
पहले चरण में 74 हजार विद्यार्थियों के अभिभावकों के बैंक खाते में डीबीटी के तहत धनराशि भेजी जा चुकी है। 60 हजार विद्यार्थियों का डाटा फीड होने के साथ सत्यापित हो गया है। दूसरे चरण की धनराशि जल्द अभिभावकों के खाते में आने वाली है। संदिग्ध डाटा का सत्यापन कराया जा रहा है। जिन विद्यार्थियों के नाम दो जगह पाए जा रहे हैं, उनका नाम एक जगह से हटवाया जा रहा है। – सतीश कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी
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