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Gorakhpur fertilizer: 1968 में हुई स्थापना, 1990 में घटना और 2002 में लटका ताला…31 साल बाद फिर शुरू होने वाले गोरखपुर खाद कारखाने की पूरी कहानी

गोरखपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर में करीब 100 अरब (10 हजार करोड़) रुपये के विकास कार्यों की सौगात देंगे। इसमें प्रधानमंत्री 8603 करोड़ रुपए के गोरखपुर खाद कारखाना की शुरुआत करेंगे। यह खाद कारखाना पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर में एक चुनावी मुद्दा रहा है। 1990 में बंद हुए इस कारखाने को खोलने के लिए यूपी सीएम जो तत्कालीन गोरखपुर के सांसद थे, उन्होंने कई बार इस मुद्दे को उठाया। इस खाद कारखाने की आधारशिला जुलाई 2016 में रखी थी।

गोरखपुर का यह खाद कारखाना 20 अप्रैल 1968 को शुरू किया गया था। इसकी स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। यह 1990 तक चला। 10 जून 1990 को कारखाने में अचानक अमोनिया गैस का रिसाव हुआ। इस घटना में एक इंजिनियर की मौत हो गई थी।

कारखाने को सुरक्षित करने की जगह किया गया बंद
खाद कारखाना में इंजिनियर की मौत के बाद विरोध शुरू हुआ। यह कारखाना बंद कर दिया गया। स्थानीय स्तर पर कारखाने को सुरक्षित बनाकर इसे फिर से खोलने के मांग शुरू हुई।

2002 में कर्मचारियों को दिया गया वीआरएस
2002 में सरकार ने इसे पूरी तरह से बंद कर दिया। यहां पर काम करने वाले सभी 2400 स्थायी कर्मचरियों को वॉलेंट्री सेपेरेशन स्कीम (वीआरएस) दे दिया गया। सरकारें बदलती रहीं लेकिन खाद कारखाने को फिर से खोलने की मांग पूरी नहीं हुई।

योगी बनाते रहे मुद्दा
गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ कई बार खाद कारखाने को फिर से शुरू करने की मांग करते रहे। उन्होंने कई बार यह मुद्दा भी उठाया। केंद्र में उनकी यह मांग सुनी नहीं गई। हालांकि वह लगातार प्रयास करते रहे।

2016 में हुआ शिलान्यास
यूपी में 2014 को बीजेपी की सरकार बनी तो योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर से खाद कारखाना शुरू करवाने के प्रयास शुरू किए। 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद कारखाना का शिलान्यास किया।

बिहार और नेपाल के लोगों को भी फायदा
सीएम योगी ने कहा कि 1990 में फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) का खाद कारखाना बंद हो गया था। अनेक सरकारें आईं, आश्वासन पर आश्वासन दिए गए, लेकिन काम नहीं हुआ। लिहाजा, रोजगार पर विराम लग गया। खाद कारखाना दोबारा चलेगा, यह सपना लगता था, लेकिन अब यह सपना साकार हो चुका है। इस खाद कारखाने से हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन होगा। सीएम योगी ने कहा कि तीनों परियोजनाओं से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और नेपाल की बड़ी आबादी भी लाभान्वित होगी।

दुनिया में सबसे ऊंचा गोरखपुर के खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर
हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की तरफ से बनाए गए खाद कारखाने की वजह से गोरखपुर के नाम एक और बड़ी उपलब्धि भी दर्ज हो गई है। दुनिया भर में जितने भी यूरिया खाद के कारखाने बने हैं, उनमें गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर सबसे ऊंचा है। इसके निर्माण से पहले 125 मीटर ऊंचाई के साथ पाकिस्तान के दहरकी शहर में एग्रो फर्टिलाइजर्स लिमिटेड द्वारा बनाए गए खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर विश्व में सबसे ऊंचा था। इस कारखाने के टावर की ऊंचाई 149.5 मीटर है। इसका व्यास 28 से 29 मीटर है। आठ हजार करोड़ से अधिक लागत वाला यह कारखाना प्राकृतिक गैस से संचालित होगा, जिससे वातावरण के प्रदूषित होने का खतरा नहीं है।