UP Election : जाट-मुसलमान एकता की दोधारी तलवार पर अखिलेश, मायावती की चुप्पी और भाजपा के लिए 66/76 वाला चैलेंज – Lok Shakti
November 1, 2024

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UP Election : जाट-मुसलमान एकता की दोधारी तलवार पर अखिलेश, मायावती की चुप्पी और भाजपा के लिए 66/76 वाला चैलेंज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शोर में हिंदुत्व को दबाने की रणनीतिक कोशिश अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के यूथ ब्रिगेड ने की है। स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी समेत अन्य पिछड़ा वर्ग के नेताओं को भगवा खेमे से निकाल कर दो लक्ष्यों को साधा जा रहा है। गैर यादव ओबीसी का कुछ हिस्सा समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल (SP-RLD Alliance) को मिल जाए। दूसरा, सामाजिक न्याय के नाम पर आरक्षण और भागीदारी का शोर ऊँचा कर भाजपा के इंद्रधुनषी हिंदू वोट बैंक को तोड़ दिया जाए।

इसी इंद्रधनुषी गठजोड़ के बूते 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 403 में 312 सीटें हासिल की। खास कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 76 में 66 सीटें भगवा खेमे में गई जहां 14 जिलों में मुसलमान वोटों का प्रतिशत 20 से ज्यादा है। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, अलीगढ़, संभल, बिजनौर, मुरादाबाद और बरेली में ये उस 30 प्रतिशत के जादुई आँकड़े से ज्यादा वोट करते हैं जिस पर यूपी में सरकार बन जाती है। इतिहास गवाह है। सूबे में जिसे 30 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिला उसने सरकार बनाई है।
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अखिलेश यादव इसी लक्ष्य का पीछा कर रहे हैं। मायावती कहीं मैदान में दिख नहीं रहीं। और मुसलमान वोट मंदिर आंदोलन के बाद पहली बार एकमुश्त सपा के खाते में जाता दिखाई दे रहा है। असदुद्दीन ओवैसी की चमक कितनी जल्दी फीकी पड़ी है, ये आपके सामने है। अखिलेश को लगता है कि अगर 19 प्रतिशत मुसलमान और 11-12 प्रतिशत यादव एकजुट होकर वोट कर दें , स्वामी प्रसाद-सैनी जैसे नेताओं के बूते गैर-यादव ओबीसी का कुछ हिस्सा मिल जाए और जयंत चौधरी जाटों का वोट दिला दें तो जादुई आँकड़ा प्राप्त कियाा जा सकता है। अब पहले चरण की 58 और दूसरे चरण की 55 सीटों के लिए भाजपा ने जिस तरह से टिक बांटे हैं उसे देख लीजिए।

टिकट बंटवारे से दिया जवाब

107 सीटों के लिए तय उम्मीदवारों में 60 प्रतिशत से ज्यादा टिकट पिछड़ों और दलितों को दिया गया है। पहले चरण की 58 में 53 सीटें भाजपा ने पिछली बार फतह की थी। मुजफ्फरनगर दंगों और कैराना से कथित पलायन की बुनियाद पर बने हिंदुत्व के एजेंडे के अलावा जातीय समीकरण ने अहम भूमिका निभाई थी। उसे इस बार भी पार्टी ने बरकरार रखने की कोशिश की है। इस बार भाजपा ने 17 जाट, 7 गुर्जर और 19 दलितों को प्रत्याशी बनाया है। 2017 में भी 16 जाट, 7 गुर्जर और 18 दलितों को पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था। पश्चिमी यूपी के 10-12 जिलों में जाटों और गुर्जरों की 16 से 17% आबादी अपना असर रखती है। जयंत चौधरी को छोटा सा जवाब तो यहीं मिल गया है।
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पिछले चुनाव में भाजपा को लगभग 40 प्रतिशत वोट मिले जो 2019 लोकसभा चुनाव में बढ़ कर 49 प्रतिशत हो गया। अब कोई पूछे कि भाजपा का वोट 49 प्रतिशत से कितना घट जाएगा? तो ये चुनावी बिसात पर अति आत्मविश्वास कहा जाएगा। 2017 में यूपे के लड़के साथ थे। 2019 में तो महागठबंधन बन गया। अब गौर कीजिएगा। बुआ यानी मायावती (Mayawati) की बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party)को 19.43 प्रतिशत वोट मिले। बबुआ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को 18.11 प्रतिशत वोट मिले। लेकिन 80 में 62 सीटें भाजपा के खाते में गईं क्योंकि उसे 49 प्रतिशत वोट मिले। ट्रिक यहीं है। बसपा और सपा का वोट मिला दें तो ये भी 38 प्रतिशत के आस-पास था लेकिन एक -दूसरे को वोट ट्रांसफर नहीं हुआ। 2017 और 2019 के गठबंधन प्रयोग से 2022 में तौबा किया गया है तो कारण यही है। अगर आप गठबंधन बनाएंगे तो विरोध में ध्रुवीकरण और तेज होगा।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम एकता जैसी कोई बात थी तो उसे भाजपा ने पिछले चुनाव में ध्वस्त कर दिया। किसान आंदोलन से कितना नुकसान हुआ है और राकेश टिकैत या जयंत चौधरी अखिलेश के लिए वो पुरानी एकता लौटा पाएंगे, ये कहना मुश्किल है। यहां अखिलेश दोधारी तलवार पर है। अगर भाजपा ने ये संदेश देने में कामयाबी हासिल कर ली कि इलाके का मुसलमान पूरी तरह सपा के साथ जा रहा है तो ध्रुवीकरण का जमा जमाया इतिहास फिर दोहराया जाएगा और मौजूदा विपक्षी उम्मीदें पूरी तरह टूट सकती है। दूसरा पहलू है भाजपा ने हिंदुत्व के एजेंडे पर चलते हुए जो वादे किए उसे निभाया। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर सबके सामने है। अगर आपने वादा पूरा किया हो तो हमारे गांवों में आशीर्वाद देने की रिवायत रही है। इसलिए विकास के एजेंडे के साथ हिंदुत्व रथ पर सवार भाजपा को इस चुनाव में आशीर्वाद वोट मिलेंगे। कई बार बड़े चेहरों के दल-बदल के शोर में धरातल की सच्चाई कहीं गौण हो जाती है।

पहले दो चरणों के चुनाव वाले जिलों में मुसलमान वोट प्रतिशत
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar Muslim Population) – 41%
मेरठ ( Meerut Muslim Population) – 35%
शामली (Shamli Muslim Population) – 28%
गाजियाबाद ( Ghaziabad Muslim Population) – 25%
सहारनपुर ( Saharanpur Muslim Population) -42%
बागपत ( Baghpat Muslim Population)- 28 %
अलीगढ़ ( Aligarh Muslim Population) – 42 %
मथुरा (Mathura Muslim Population) -9%
आगरा (Agra Muslim Population)-15%
बुलंदशहर ( Bulanshahr Muslim Population)-22%
गौतम बुद्ध नगर ( Gautam Buddha Nagar Muslim Population)-9%
हापुड़ ( Hapur Muslim Population)- 32%
बिजनौर ( Bijnaur Muslim Population) – 43%
मुरादाबाद ( Moradabad Muslim Population) – 47%
संभल ( Sambhal Muslim Population) -75%
अमरोहा ( Amroha Muslim Population) -73%
बदायूं ( Badaun Muslim Population) -21%
बरेली ( Bareilly Muslim Population ) – 35%