इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए इलाहाबाद व लखनऊ खंडपीठ सहित प्रदेश के सभी अधीनस्थ न्यायालयों, परिवार न्यायालयों, अर्द्ध न्यायिक न्यायालयों, प्राधिकरणों, नगर निकायों में लंबित मुकदमों में पारित अंतरिम आदेश को 28 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि इस दौरान कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के 10 जनवरी 2022 को दिए गए आदेश का स्वत: संज्ञान लिया है। बेंच ने कुल छह बिंदुओं पर हाईकोर्ट मुख्य पीठ और लखनऊ खंडपीठ के साथ अधीनस्थ न्यायालयों, न्यायाधिकरणों, नगर निकायों के लिए आदेश जारी किया है। जिसके तहत लंबित मुकदमों में प्रभावी अंतरिम आदेशों को 28 फरवरी 2022 तक बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट का यह आदेश उसके पूर्व के दिए गए आदेश के क्रम में है।
कोर्ट ने पूर्व में कोरोना संक्रमण को देखते हुए 31 दिसंबर 2021 तक मुकदमों में अंतरिम आदेश को बढ़ाया था। कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय या उत्तर प्रदेश राज्य में इस न्यायालय के अधीनस्थ किसी भी न्यायालय के अंतिम आदेश या निर्देश, जो अगले आदेश तक संचालित होने के लिए हैं, लागू रहेंगे।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि आपराधिक मामलों में समयबद्ध और अग्रिम जमानत का आदेश 28 फरवरी 2022 तक प्रभावी रहेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने जिला न्यायालयों या सिविल न्यायालयों की ओर से बेदखली और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यानी 28 फरवरी तक बेदखली और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जाएगी। जबकि, प्रदेश सरकार, नगर निकाय और स्थानीय निकायों की ओर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बहुत ही धीमी गति से होगी। इसके अलावा बैंक और वित्तीय संस्थान नीलामी की प्रक्रिया को स्थगित रखेंगे।
कोर्ट ने कहा है कि अगर वर्तमान आदेश के अनुसार अंतरिम आदेशों के विस्तार के मामले में किसी भी पक्ष को कोई परेशानी हो तो वह वह सक्षम अदालत, न्यायाधिकरण या अर्द्ध न्यायिक संस्थाओं के समक्ष आवेदन कर सकता है। सक्षम प्राधिकरण उस पर सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय ले सकेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए इलाहाबाद व लखनऊ खंडपीठ सहित प्रदेश के सभी अधीनस्थ न्यायालयों, परिवार न्यायालयों, अर्द्ध न्यायिक न्यायालयों, प्राधिकरणों, नगर निकायों में लंबित मुकदमों में पारित अंतरिम आदेश को 28 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि इस दौरान कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के 10 जनवरी 2022 को दिए गए आदेश का स्वत: संज्ञान लिया है। बेंच ने कुल छह बिंदुओं पर हाईकोर्ट मुख्य पीठ और लखनऊ खंडपीठ के साथ अधीनस्थ न्यायालयों, न्यायाधिकरणों, नगर निकायों के लिए आदेश जारी किया है। जिसके तहत लंबित मुकदमों में प्रभावी अंतरिम आदेशों को 28 फरवरी 2022 तक बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट का यह आदेश उसके पूर्व के दिए गए आदेश के क्रम में है।
कोर्ट ने पूर्व में कोरोना संक्रमण को देखते हुए 31 दिसंबर 2021 तक मुकदमों में अंतरिम आदेश को बढ़ाया था। कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय या उत्तर प्रदेश राज्य में इस न्यायालय के अधीनस्थ किसी भी न्यायालय के अंतिम आदेश या निर्देश, जो अगले आदेश तक संचालित होने के लिए हैं, लागू रहेंगे।
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