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डिफेंस में आत्मनिर्भर होगा भारत, मेक इन इंडिया पर केंद्रित रहा रक्षा बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश किया। इस बजट में उन्होंने कई अहम घोषणाएं कीं। लेकिन, सभी की नजर टिकी रही रक्षा बजट पर। इस बार का बजट मेक इन इंडिया पर केंद्रित रहा। डिफेंस सेक्टर में आयात घटाने और रक्षा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डिफेंस सेक्टर में विकास और शोध को बढ़ावा दिया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय को इस साल सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए पूंजी अधिग्रहण के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित की गई है। इसमें से 68 फीसदी घरेलू स्रोतों से खरीद के लिए निर्धारित किया गया है। आवंटन पिछले वर्ष के 1.35 लाख करोड़ रुपये के आवंटन से लगभग 13% अधिक है। बजट में सशस्त्र बलों के लिए उपकरणों में आत्मनिर्भरता भारत को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जताई गई। 2021-22 के 58% की तुलना में 2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए पूंजीगत खरीद बजट को 68% तक बढ़ाया गया।

सरकार की योजना मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट की तरह अब ड्रोन को भी जरूरी बनाना है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार ड्रोन को मिशन की तरह बढ़ावा दिया जाएगा। जैसे जल शक्ति मिशन के तहत घर-घर पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, वैसे ही ड्रोन शक्ति मिशन बनाया जाएगा। पिछले साल आवंटित 2.33 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले रक्षा मंत्रालय को 2.39 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मंत्रालय का रक्षा पेंशन बजट 1.19 लाख करोड़ रुपये है।

रक्षा मंत्रालय और सेवाओं को इस साल कुल 5.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जो पिछले साल की तुलना में 47,000 करोड़ रुपये अधिक है। पिछले साल रक्षा मंत्रालय और सेवाओं को 4.78 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। आवंटन में पिछले वर्ष से लगभग 10% की वृद्धि हुई है।बजट में रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने के लिए विकास और अनुसंधान पर विशेष बल दिया गया है। मेक इन इंडिया के जरिए डिफेंस क्षेत्र में दूसरे विकल्प भी तलाशे जाएंगे। DRDO को 25 फीसदी से अधिक धनराशि दी जाएगी, जिसका इस्तेमाल रिसर्च और डेवेलपमेंट की दिशा में किया जाएगा।

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