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हाईकोर्ट ने पूछा : साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए क्या किया, बताएं डीजीपी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बढ़ते साइबर अपराधों और धोखाधड़ी वाले मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने फर्जी लॉटरी ऑफर, फोन के जरिये खाताधारकों को चूना लगाने वाले मामलों में अंकुश लगाने के लिए पुलिस की ओर से की गई कार्रवाइयों के बारे में यूपी के डीजीपी से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि पुलिस महानिदेशक को यह जानकारी व्यक्तिगत हलफनामे पर देनी होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कुलदीप की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने इस मामले में 30 जून 2021 को दिए गए आदेश के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक द्वारा पूर्व में (नौ मार्च) दाखिल किए गए व्यक्तिगत हलफनामे पर असंतोष भी जताया। कोर्ट ने कहा कि धोखेबाज आम लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने केलिए लॉटरी और फर्जी पुरस्कारों का प्रस्ताव देकर फोन करते हैं और फिर उन्हें अपने जाल में फंसाकर ठगी का शिकार बना रहे हैं।

कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक से साइबर ठगी करने वाले अपराधियों के रैकेट का पता लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया था। कहा था कि पुलिस महानिदेशक तुरंत जिला पुलिस प्रमुखों को इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई करने के लिए सर्कुलर जारी करेंगे।

हलफनामे में आदेश के अनुपालन का एक शब्द तक नहीं
कोर्ट ने इस संबंध में पुलिस महानिदेशक द्वारा दायर किए गए व्यक्तिगत हलफनामे पर सख्त टिप्पणी की। कहा कि इसे पढ़ने से पता चलता है कि यह किसी सरकारी एजेंसी या शैक्षणिक निकाय को दी गई रिपोर्ट जैसी है, जो आम तौर पर कानून और व्यवस्था की समस्या के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में होती है। कोर्ट ने कहा कि महानिदेशक ने इस न्यायालय के दिनांक 30 जून 2021 के आदेशों के अनुपालन में जो कुछ किया है, उसके बारे में हलफनामे में एक शब्द भी नहीं कहा है।

इसके साथ ही पुलिस अधीक्षकों को जारी किए जाने वाले सर्कुलर और धोखेबाजों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस महानिदेशक द्वारा की गई कार्रवाईयों के बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया है। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर की और महानिदेशक को मामले में 28 अप्रैल 2022 तक अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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