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President Ramnath Kovind: गीता प्रेस नहीं, बल्कि अद्भुत साहित्य का मंदिर, गोरखपुर में बोले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किया। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गीता प्रेस एक सामान्य प्रिंटिंग प्रेस नहीं, बल्कि समाज का मार्गदर्शन करने वाला साहित्य का मंदिर है। सनातन धर्म और संस्कृति को बचाए रखने में इसकी भूमिका मंदिरों और तीर्थ स्थलों जितनी ही महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति शनिवार शाम धार्मिक-आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रसिद्ध संस्था गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरे जैसे सामान्य व्यक्तियों की अवधारणा रही है कि गीता प्रेस एक प्रेस होगा, जहां मशीनें होंगी, कर्मचारी होंगे। पर, आज जो देखने को मिला है, वह सिर्फ प्रेस नहीं, बल्कि अद्भुत साहित्य मंदिर है। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास प्राचीन काल से धर्म और अध्यात्म से जुड़ा रहा है, हमारी अनुपम संस्कृति को पूरे विश्व में सराहा गया है, भारत के धार्मिक व आध्यात्मिक सांस्कृतिक ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने में गीता प्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत के दर्शन और संस्कृत से लाभान्वित होगा पूरा विश्व
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही है कि भारत की सीमाओं से बाहर भी गीता प्रेस अपनी शाखाएं स्थापित कर रहा है। गीता प्रेस ने नेपाल में अपनी पहुंच को नई दिशा दी है। उम्मीद है कि पूरा विश्व भारत के दर्शन और संस्कृति से लाभान्वित होगा। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि विदेश यात्रा के दौरान वह भारतवंशियों से मिलते हैं। उनके मन में अपनी संस्कृति के प्रति अपार लालसा है। उनकी लालसा को पूर्ण करने में गीता प्रेस बड़ा स्रोत बन सकता है। विदेशों में गीता प्रेस के इस कार्य में राष्ट्रपति सचिवालय मदद उपलब्ध कराएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गीता प्रेस में आगमन मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यह संयोग है या देव योग, यह नहीं कह सकता, लेकिन यह जरूर पिछले जन्मों के कुछ पुण्य का फल है। यहां कर्मचारियों से मिलने का अवसर मिला।

लीलाचित्र मंदिर देख अभिभूत हुए राष्ट्रपति
गीता प्रेस न केवल धार्मिक-आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रतिष्ठित संस्था है, बल्कि इसकी ख्याति इसके अनूठे लीलाचित्र मंदिर के लिए भी है। गीता प्रेस आगमन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की प्रथम महिला नागरिक सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सबसे पहले लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन किया। इसे देख प्रसन्नता के भाव मे वह अभिभूत नजर आए। लीलाचित्र मंदिर की दीवारों पर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों के श्लोक संगमरमर पर लिखे हुए हैं। साथ ही देवी-देवताओं के सैकडों चित्र हैं।

साहित्य की सेवा कभी न मिटने वाली सेवा है
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक साहित्य के माध्यम से गीता प्रेस देश की अपूर्व सेवा कर रहा है। साहित्य की सेवा कभी न मिटने वाली सेवा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर राष्ट्रपति का आगमन गौरवशाली क्षण है 1923 में 10 रुपये के किराये के भवन में जयदयाल गोयंदका ने जिस बीज का रोपण किया था, आज वह वटवृक्ष बनकर देश दुनिया में घर-घर को धर्म संस्कार से जोड़कर देश सेवा का उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस से भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार का जुड़ना, कल्याण का प्रकाशन शुरू होना, एक अद्भुत कार्य था। उस वक्त में भी कल्याण को घर-घर तक पहुंचाया गया, जब इतनी व्यवस्थाएं नहीं होती थीं।

भाव विभोर हो गए राष्ट्रपति
लीलाचित्र मंदिर की दीवारों पर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों के श्लोक संगमरमर पर लिखे हुए हैं। साथ ही देवी-देवताओं के सैकडों चित्र हैं। गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर और दादू के दोहों का अंकन भी मंदिर में किया गया है। इन सबका अवलोकन कर राष्ट्रपति भाव विभोर हो गए।