लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं। एक न्यायपालिका, दूसरी कार्यपालिका, तीसरी विधायिका और चौथी पत्रकारिता। ये चारों खम्भे टिके कहाँ होते हैं ? इन खम्भों के ऊपर क्या टिका होता है ? जाहिर है खम्भे हवा में नहीं टिके होते और अगर इनके ऊपर कुछ टिकाना नहीं होता तो इन्हें बनाने का भी कोई औचित्य नहीं था ! ये खम्भे टिके होते हैं जनता नाम की जमीन पर । इनके ऊपर टिकाया जाता है इसी जनता को सुरक्षा देता एक तंत्र जिसका काम भी हमारे लिए ही होता है । अब इस जनता से दूर इनके द्वारा चुने गये विधायकों को रखा जा रहा है, जिससे कि विधायक अपनी जनता से संपर्क न कर सकें और उनकी इच्छा के जाने बिना उन्हें जिन्होंने बंधक बनाया है उनके कहे अनुसार पिंजरे के तोते बन जाएं।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के उपरांत प्रजातंत्र के चार स्तंभ भूकंपित हैं। राहुल गांधी ने कहा था कि वे प्रजातंत्र के मंदिर संसद में बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद से राहुल गांधी के अप्रजातांत्रिक कार्यकलापों से वास्तव में भूकंप आ गया है और प्रजातंत्र के चारो स्तंभ भूकंपित हो गए हैं।
प्रजातंत्र के तीन स्तंभ गांधी जी के तीन बंदरों ेकी विपरीत परिभाषा गढ़ रहे हैं। ये तीन बंदर तीन स्तंभ मीडिया, विधायिका और न्यायालय गांधी जी के तीन बंदर न बोल रहे हैं, न सुन रहे हैं और न देख रहे हैं।
एक बंदर विधायिका को तो बंधुआ मजदूरों के समान समझते हुये उनकी उड़ान भरने, सोचने समझने, निर्णय लेने की क्षमता पर पहरा बैठाकर उन्हें पिंजरे में बंद कर कैग्ड पैरॉट्स बना दिया गया है।
बहुत वर्षों पूर्व अमेरिका तथा अन्य युरोपियन देशों में आफ्रिकन निग्रो स्लेव्ज बनाकर रखे जाते थे। उन पर अत्याचार कर इच्छा के विपरीत कार्य करवाया जाता था। महिलाओं के साथ बलात्कार होते थे। यदि कोई स्लेव्ज भाग जाया करता था तो विज्ञापन छपवाकर उन्हें पकड़कर लाने वालों को ईनाम दिया जाता था।
अभी भी हम उसी दिशा की ओर लौट चले हैं। क्रिकेट खिलाडिय़ों की नीलामी हो रही है। बच्चों को खरीदकर अरब देशों के शहजादे ले जाते थे। उन्हें ऊंट पर बांध दिया जाता था। जब ऊंट दौड़ते थे तो अरब के ये शहजादे और सुल्तान आनंद लेते थे। छोटी-छोटी बच्चियों को उन शहजादों को बेचा जा रहा है।
क्या यही कार्य कर्नाटक में कांग्रेस, जेडीयू द्वारा नहीं हो रहा है? इन सब अप्रजातांत्रिक कार्यों के पीछे राहुल गांधी के आजादी गैंग लगे हुए हैं। संजय निरूपम ने गुजरात के राज्यपाल को कुत्ता तक कह डाला। कम्युनिस्टों ने सुभाष चंद्र बोस को भी तोजो का कुत्ता कहा था।
कांग्रेस और जेडीयू की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एके सीकरी ने कहा था, जिस रिजॉर्ट में कांग्रेस और जदएस के विधायक रखे गए हैं, उसका मालिक कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। क्योंकि उसके पास प्रदेश के 117 विधायक मौजूद हैं, जो बहुमत से ज्यादा हैं। जस्टिस सीकरी ने कहा, सोशल मीडिया पर चल रहा है कि रिजॉर्ट मालिक कर्नाटक के राज्यपाल को पत्र लिखने जा रहा है कि वह 117 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने की स्थिति में है।
हम आशा करते हैं कि मध्यरात्रि में याचिका सुनने का रिकार्ड कायम करने वाला न्यायालय अभी जो प्रजातंत्र का मजाक कर्नाटक में हो रहा है उस पर स्वत: संज्ञान लेगा और जिहादी सेक्युलर मीडिया भी अपने कुंभकरणीय नींद से जागेगा।
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