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Editorial: स्टार्टअप ने भारत में रोजगार सृजन का परिदृश्य बदल दिया

12-7-2022

भारत, एक ऐसा देश जो अपनी बढ़ती आबादी के कारण जल्द ही चीन को भी जनसंख्या के मामले में पीछे छोडऩे वाला है। भारत, एक ऐसा देश जो आज वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था के मामले में नए मुकाम हासिल कर रहा है। थोड़ा अटपटा है लेकिन सच है। एक तरफ जहां बढ़ती जनसंख्या कई परेशानियां पैदा कर देती है वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे इसी जनसंख्या का सही दिशा निर्देश कर उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारा। जब जनसंख्या बढऩे लगती है तो सबसे बड़ी मुसीबत होती है- रोजगार।केंद्र सरकार अच्छे से जानती थी कि जितनी आबादी है उतनी नौकरियां सरकार के पास नहीं है। लेकिन नौकरी के अभाव में बेरोजगार युवा गलत रास्ते पर ना चले जाएं इसके लिए जरूरी है था कि उनके खुद के सपनों को उड़ान दी जाए और बस यही से शुरुआत हुई भारत के स्टार्टअप्स की।

स्टार्टअप जो किसी भी व्यापार की उस शुरुआती अवधि या बिंदु को कहा जाता है जब वह व्यापार विकसित होने के लिए तैयार हो रहा होता है। ऐसे में जब कोई स्टार्टअप सफल होता है तो उसे एक बेहतर और स्थाई बिजनेस का रूप देने के लिए और भी लोगों की सहायता की आवश्यकता पड़ती है और ऐसे में एक स्टार्टअप कई नौकरियों के अवसर पैदा करता है। सरकार इस बात को अच्छे से समझ गई थी कि अगर देश के युवा को सही राह पर रखना है और अर्थव्यवस्था सुधारनी है तो उन्हें रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए स्टार्टअप्स की सहायता करनी होगी। इसके लिए भारत सरकार ने एमएसएमई मंत्रालय के साथ मिलकर भारत में स्टार्टअप और एमएसएमई को सशक्त बनाने के लिए कई अनूठी सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए।

एमएसएमई को डिजाइन विशेषज्ञता के लिए डिजाइन क्लिनिक- उद्यमी को नेटवर्क से संबंधित नवीनतम रुझानों और डिजाइन मानसिकता और सिद्धांतों के बारे में गहराई से सीख सकते हैं।

भारत सरकार द्वारा इस तरह की कई योजनाएं चलाई गयीं जिससे देश में कई स्टार्टअप उभरे। जब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और स्टार्टअप्स की बात आती है, तो भारत सरकार का रुख बहुत स्पष्ट है। नया भारत स्टार्टअप की सफलता पर निर्भर करता है। उन्हें भारत की बेहतरी के लिए पोषित, संरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। सरकार जानती है कि स्टार्टअप और एमएसएमई वह नींव है जिसके आधार पर आत्मनिर्भर मिशन और मेक इन इंडिया विजन से अधिक रोजगार पैदा करना, निर्यात बढ़ाना, लाखों भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार करना और भारत को विश्व स्तर पर मजबूत बनाना सफल होगा।

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सर्वेक्षण में कहा गया है, “पिछले छह वर्षों में भारत में स्टार्टअप उल्लेखनीय रूप से बढ़े हैं। नए मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या जो 2016-17 में केवल 733 थी वह 2021-22 में बढ़कर 14,000 से अधिक हो गई है।”  इसी के साथ अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है।

सर्वेक्षण के अनुसार 44 भारतीय स्टार्टअप ने 2021 में यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया, जिससे भारत में स्टार्टअप यूनिकॉर्न की कुल संख्या 83 हो गई है।

भारतीय स्टार्टअप की सफलता की कहानी की सराहना करते हुए संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि “हमारा स्टार्टअप उद्योग भी अनंत नई संभावनाओं का एक उदाहरण है जो हमारे युवाओं के नेतृत्व में तेजी से आकार ले रहा है। इन स्टार्टअप्स द्वारा छह लाख से अधिक नौकरियां पैदा की गई हैं। 2021 में, कोरोना काल के दौरान, भारत में 40 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप उभरे, जिनमें से प्रत्येक का न्यूनतम बाजार मूल्यांकन 7,400 करोड़ रुपये (1 बिलियन डॉलर) था।”

इस महीने नैसकॉम-जिनोव की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय स्टार्टअप ने 2021 में रिकॉर्ड 24.1 बिलियन डॉलर जुटाए, जो पूर्व-कोविड स्तरों से दो गुना अधिक है, जबकि 11 स्टार्टअप ने आईपीओ के साथ सार्वजनिक बाजारों के माध्यम से 6 बिलियन डॉलर जुटाए।कोविंद ने सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि, “सरकार की नीतियों के कारण आज भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी की लागत और स्मार्टफोन की कीमत दुनिया में सबसे सस्ती है। इससे हमारी युवा पीढ़ी को काफी फायदा हुआ है। भारत 5 जी मोबाइल कनेक्टिविटी पर भी काफी तेजी से काम कर रहा है, जिससे नए अवसरों के द्वार खुलेंगे।”

आज बात चाहे देश की रक्षा के लिए ड्रोन या हथियार तैयार करने की हो या फिर दुनिया के साथ आगे बढ़ते रहने के लिए सेमीकंडक्टर्स या नए स्टार्टअप्स शुरू करने की, भारत हर एक मुद्दे पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और जिस तरह भारत के स्टार्टअप में लगातार तरक्की कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है साथ ही सरकार की नीतियां सराहनीय है जो ना केवल नई स्टार्टअप शुरू करने में सहायता कर रही है बल्कि बेरोजगारी की समस्या का भी निदान कर रही है।