भारत से कुछ फ़िल्मकार, पत्रकार और समीक्षक मित्र कान फिल्म फेस्टिवल गए हैं। उनकी राय, टिपण्णी और समीक्षा पर यकीन करें तो नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी की ‘मंटो’ इस साल की बहुप्रतीक्षित फिल्म होगी। यह फिल्म कान फिल्म फेस्टिवल के ‘उन सर्टेन रिगार्ड’ खंड के लिए चुनी गयी है। इस फिल्म की निर्देशक नंदिता दास हैं। कान फिल्म फेस्टिवल की क्रिएटिव पवित्रता और वस्तुनिष्ठता बची हुई है। दुनिया भर के बेहतरीन फ़िल्में यहाँ देखने को मिल जाती हैं। यह पता चल जाता है कि इस साल का इंटरनेशनल सिनेमा सीन कैसा रहेगा? वहां दिखाई जा चुकी फ़िल्में कुछ महीनों के बाद घूमती हुई देश के विभिन्न शहरों में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में पहुंचेंगी।
मैं ‘मंटो’ को नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी की फिल्म कह रहा हूँ। उन्होंने ही फिल्म में शीर्षक भूमिका निभाई है। कह सकते हैं कि किरदारों पर भी कलाकारों के नाम लिखे होते हैं। 2005 से सआदत हसन मंटो के जीवन पर फिल्म बनाने की कोशिशें जारी हैं। अनेक निर्देशकों ने सोचा। कुछ कलाकारों ने तैयारी की। बात आयी-गयी और फ़िल्में नहीं बन सकीं। इस बार नंदिता दास अपने प्रयास में सफल रहीं।
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