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Independence Day 2022: मैनपुरी के बेवर में है शहीदों का मंदिर, यहां होती है क्रांतिकारियों की पूजा

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मैनपुरी जिले में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां शहीदों की पूजा होती है। ये मंदिर बेवर में स्थित है। इसका नाम शहीद मंदिर है। यह मंदिर उन युवा क्रांतिकारियों की याद में बनवाया गया, जो आजादी के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। शहीद मंदिर आज भी उनकी शहादत की गवाही दे रहा है। बेवर निवासी पंडित जमुना प्रसाद त्रिपाठी, कृष्ण कुमार और सीताराम गुप्ता ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था। 

अंग्रेजों के विरुद्ध निकाले गए एक जुलूस पर थाने के सामने अंग्रेजी हुकुमत के एक थानेदार ने गोली चलाने का आदेश दे दिया था। इसमें जमुना प्रसाद त्रिपाठी, सीताराम गुप्ता और कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे। कई क्रांतिक्रारी घायल भी हुए थे। इस जुलूस में पंडित जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पुत्र जगदीश नरायन त्रिपाठी भी थे। उस समय वह किशोरावस्था में थे। गोली लगने से वह भी घायल हो गए थे। 
 
जगदीश नरायन त्रिपाठी ने ही आजादी के बाद शहीदों की याद में शहीद मंदिर बनाने के लिए पहल की थी। 1971 में बनकर तैयार हुए शहीद मंदिर में तीनों शहीदों के साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों की कुल 26 प्रतिमाएं लगाई गईं हैं। ये प्रतिमाएं आजादी के परवानों की वीर गाथाएं बयां कर रही हैं।

राजनेताओं ने भी शहीद मंदिर में झुकाया सिर 
शहीद मंदिर में शहीदों के परिवारों के साथ ही कई राजनेता और हस्तियां शहीदों को नमन करने आ चुकी हैं। इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सांसद राजबब्बर और शहीद भागत सिंह के भांजे जगमहोन सिंह भी शहीद मंदिर में शहीदों को नमन करने वालों में शामिल हैं। 
जनवरी में होता है शहीद मेले का आयोजन 
शहीद मंदिर के साथ ही बेवर में शहीद मेले का भी आयोजन हर साल किया जाता है। जनवरी में आयोजित होने वाले इस मेले की अलग पहचान है। इसमें शहीदों के परिवारों को सम्मानित करने के साथ ही उनकी याद में कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस पूरे आयोजन की कमान शहीद जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पौत्र राज त्रिपाठी संभालते हैं। वे बताते हैं कि उनके पिता जगदीश नरायन त्रिपाठी ने शहीद मंदिर बनवाया था, वे उन्हीं के कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। 
इनकी लगी हैं शहीद मंदिर में प्रतिमाएं
शहीद जमुना प्रसाद त्रिपाठी
शहीद विद्यार्थी कृष्ण कुमार
शहीद सीताराम गुप्ता 
पंडित गेंदालाल दीक्षित 
कुंवर देवेश्वर तिवारी
जगदीश नारायण त्रिपाठी  
गया प्रसाद भारद्वाज 
कॉमरेड शिववरन लाल 
स्वामी सर्वानंद सरस्वती 
श्यामसुंदर लाल गुप्ता
बाबूराम झा 
बाबूराम दीक्षित 
मदन मोहन दीक्षित 
देव स्वरूप नंबरदार 
कॉमरेड रामस्वरूप गुप्ता 
मिश्रीलाल दुबे 
विशेश्वर दयाल सक्सेना 
प्रोफेसर चिंतामणि शुक्ला
लाला सती प्रसाद श्रीवास्तव 
परशुराम पांडे 
कढ़ोरी लाल गुप्ता 
नाथूराम दीक्षित 
मुंशी सिंह 
हीरालाल दीक्षित 
कॉमरेड बाबू राम पालीवाल 
कॉमरेड रामनारायण आजाद

विस्तार

मैनपुरी जिले में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां शहीदों की पूजा होती है। ये मंदिर बेवर में स्थित है। इसका नाम शहीद मंदिर है। यह मंदिर उन युवा क्रांतिकारियों की याद में बनवाया गया, जो आजादी के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। शहीद मंदिर आज भी उनकी शहादत की गवाही दे रहा है। बेवर निवासी पंडित जमुना प्रसाद त्रिपाठी, कृष्ण कुमार और सीताराम गुप्ता ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था। 

अंग्रेजों के विरुद्ध निकाले गए एक जुलूस पर थाने के सामने अंग्रेजी हुकुमत के एक थानेदार ने गोली चलाने का आदेश दे दिया था। इसमें जमुना प्रसाद त्रिपाठी, सीताराम गुप्ता और कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे। कई क्रांतिक्रारी घायल भी हुए थे। इस जुलूस में पंडित जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पुत्र जगदीश नरायन त्रिपाठी भी थे। उस समय वह किशोरावस्था में थे। गोली लगने से वह भी घायल हो गए थे। 

 

जगदीश नरायन त्रिपाठी ने ही आजादी के बाद शहीदों की याद में शहीद मंदिर बनाने के लिए पहल की थी। 1971 में बनकर तैयार हुए शहीद मंदिर में तीनों शहीदों के साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों की कुल 26 प्रतिमाएं लगाई गईं हैं। ये प्रतिमाएं आजादी के परवानों की वीर गाथाएं बयां कर रही हैं।