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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विकास कार्यों की समीक्षा करने करने के लिए कभी भी मेरठ आ सकते हैं। शहर के नियोजित विकास का जिम्मा संभालने वाले एमडीए की योजनाओं का बुरा हाल है। परतापुर में खेल स्तंभ का प्रोजेक्ट फाइलों में कैद हो गया है। शताब्दीनगर में करीब 8 करोड़ कीमत का एमडीए वीसी का निर्माणाधीन बंगला खंडहर हो गया है।
शताब्दीनगर, लोहियानगर में सड़कें जर्जर हैं। प्रमुख चौराहों के सुंदरीकरण का कार्य भी धरातल पर नहीं आ पाया। सर्किट हाउस में वॉकिंग ट्रैक, ऑडिटोरियम जैसे प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में हैं। अगर मुख्यमंत्री की निगाह में ये खामियां आईं तो कई जिम्मेदारों पर गाज गिर सकती है।
एमडीए वीसी का निर्माणाधीन बंगला धन के दुरुपयोग और नियमों की अनदेखी की बड़ी मिसाल है। एमडीए ने वर्ष 2013 में शताब्दीनगर में 50208 वर्ग फीट में वीसी का नया बंगला बनाने की योजना बनाई। इसकी लागत करीब आठ करोड़ आंकी गई। वर्ष 2015 में आलीशान बंगले का निर्माण शुरू हुआ जो 2016 तक चला।
इस तीन मंजिला इमारत में 25 बड़े कमरे और हॉल बनाए गए। करीब पांच करोड़ की जमीन पर तीन करोड़ के आसपास की लागत का यह निर्माणाधीन बंगला खंडहर में बदल रहा है। एमडीए ने बजट का हवाला देते हुए इसका कार्य 2017 में रोक दिया और नीलाम करने का फैसला लिया। आज तक इसका कोई खरीदार नहीं मिला।
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दिव्यांगों के लिए नहीं बन सका पार्क
शताब्दीनगर में दिव्यांगजन पार्क बनाने के लिए टेंडर फाइनल हुआ। तीन माह पहले निर्माण भी शुरू हुआ पर किसानों के विरोध के चलते काम अधर में लटक गया है। सर्किट हाउस, जेल चुंगी चौराहे के सौंदर्यीकरण की योजना बनाई गई। एपेक्स ग्रुप एमडी अतुल गुप्ता ने सर्किट हाउस चौराहे का गोद लिया।
कार्य शुरू हुआ, लेकिन डिजाइन में खोट की वजह से दुर्घटना का अंदेशा जताते हुए इसे रोक दिया गया। सर्किट हाउस से बुलाकी दास चौराहे तक डिवाइडर का कार्य भी नहीं शुरू हो सका। सर्किट हाउस में वॉकिंग ट्रैक और सौंदर्यीकरण की भी सिर्फ योजना ही बनी। इसके कई बार टेंडर निकाले गए लेकिन इस कार्य को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
अगले एक सप्ताह में सभी प्रोजेक्ट तेजी पकड़ेंगे। सर्किट हाउस में पाथ-वे के लिए मिट्टी डालनी शुरू कर दी है। -चंद्रपाल तिवारी, सचिव एमडीए
जो भी प्रोजेक्ट लंबित हैं, उनको लेकर जवाब मांगा जा रहा है। सभी काम तेजी से कराए जाएंगे। – दीपक मीणा, डीएम एवं प्रभारी वीसी एमडीए
जाम से जूझ रहा शहर, एक मल्टीलेवल पार्किंग नहीं बनी
शहर जाम से जूझ रहा है, लेकिन एमडीए शहर को एक मल्टीलेवल पार्किंग तक नहीं दे सका। एमडीए परिसर में दोपहिया वाहनों के लिए बेसमेंट में बनी पार्किंग भी बंद हो गई है। कलक्ट्रेट, एसएसपी ऑफिस, कमिश्नरी, एमडीए दफ्तर के बाहर प्रतिदिन सैंकड़ों कारें सड़क पर ही पार्क होती हैं। कई बार ट्रैफिक पुलिस सड़क पर खड़े वाहनों को उठाकर भी ले जाती है।
अवैध निर्माण होने पर ही गरजता है बुलडोजर एमडीए शहर में अवैध निर्माणों पर भी शिकंजा नहीं कस पा रहा है। अधिकांश मामलों में बुलडोजर भी तब गरजता है जबकि निर्माण पूरा हो चुका होता है।
विस्तार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विकास कार्यों की समीक्षा करने करने के लिए कभी भी मेरठ आ सकते हैं। शहर के नियोजित विकास का जिम्मा संभालने वाले एमडीए की योजनाओं का बुरा हाल है। परतापुर में खेल स्तंभ का प्रोजेक्ट फाइलों में कैद हो गया है। शताब्दीनगर में करीब 8 करोड़ कीमत का एमडीए वीसी का निर्माणाधीन बंगला खंडहर हो गया है।
शताब्दीनगर, लोहियानगर में सड़कें जर्जर हैं। प्रमुख चौराहों के सुंदरीकरण का कार्य भी धरातल पर नहीं आ पाया। सर्किट हाउस में वॉकिंग ट्रैक, ऑडिटोरियम जैसे प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में हैं। अगर मुख्यमंत्री की निगाह में ये खामियां आईं तो कई जिम्मेदारों पर गाज गिर सकती है।
एमडीए वीसी का निर्माणाधीन बंगला धन के दुरुपयोग और नियमों की अनदेखी की बड़ी मिसाल है। एमडीए ने वर्ष 2013 में शताब्दीनगर में 50208 वर्ग फीट में वीसी का नया बंगला बनाने की योजना बनाई। इसकी लागत करीब आठ करोड़ आंकी गई। वर्ष 2015 में आलीशान बंगले का निर्माण शुरू हुआ जो 2016 तक चला।
इस तीन मंजिला इमारत में 25 बड़े कमरे और हॉल बनाए गए। करीब पांच करोड़ की जमीन पर तीन करोड़ के आसपास की लागत का यह निर्माणाधीन बंगला खंडहर में बदल रहा है। एमडीए ने बजट का हवाला देते हुए इसका कार्य 2017 में रोक दिया और नीलाम करने का फैसला लिया। आज तक इसका कोई खरीदार नहीं मिला।
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